Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 61
________________ 6 अथ नैवेद्यपूजायां कथानकम् / ढोय बहुत्तिजुर्व नेवऊं जो जिणिंदचंदाणं / लुज सो वरजोए देवासुरमणुयनाहाणं // 1 // ढोयर जो नेवऊं जिणपुर नत्तिनिप्परमणेण / सो नरसुरसिवसुखं लहई कोमंबियनरुत्वं // 2 // खेमा नामेण पुरी निवस नरहस्स मशयारंमि / जा सुरपुरिव निच्चं सुरजवणविनूसणे अ॥३ सूरुव जो अरीणं तेएणं ससिहरुब लोयाण / परिवस तब राया नामेणं सूरसेणुत्ति // 4 // धन्ना नामेण पुरी आसि पुरा तस्स राश्णो वंसे / सीहरूजत्ति राया सुपसिझो धीरसत्तेणें // 5 // तीए नयरीए तश्या पवेसमग्गंमिमहरिसी एगोकयनियमोसाणबो न चलश् सोनिययनियमा पविसंतो नयरीए निग्गवंतो ये निग्घिणो लोगो।अवसनणत्ति मुणे पहण मुंडेय सीसंमि॥॥ ..... (अवसउणुत्ति नणेलं पहणे मुडी सीसंमि.) पागंतरं..... तह पामरो य पावो पहराराश्सामिणो देहं / तहविहु न चलधीरोनाणा मंदरगिरिव // 7 // नयर निवासी देवो कुवि लोयस्स सावराहस्स / निदोसेवि मुणिंदे घोरुवसग्गं कुणंतस्स // खंतरंमि मुणिणो घोरुवसग्गेवि विसहमाणस्स / जायं केवलनाणं मरणं विय तकणावेव // 10 // कम्ममहारिउचकं उवसमचकेण निदलेऊणं / सो वरमुणी महप्पा परमपयं सासयं पत्तो॥११॥ * आ गाथा बीजी प्रतमा नथी.। 1 नरोहलियपुरिसुव / विनूसिया। 3 जय।४ पणयाणं / 5 वीरसतेण / 6 वि। पहण। तरकणंचेव / ए वीरमुणी। Jun Gun Aaradhak RIc.Gunratnasuri M.S.

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