Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 58
________________ // 27 // अष्टप्र. 4 तेणवि अखुद्दचित्तो समुहिर्ज नरवई सह पियाए। पिछ पुर सप्पं पियाई तेएण नित्तेयं // 30 // दीप रत्तो जीसणरूवं काऊणं नेसिसमाढत्ता। तह विहु नियसत्ताले नये चलिया कणगमाला सा३ए / ती सत्तेणं तुझा पसन्नरूवेणे अप्पणी काउं / पत्नण वच्छे तुझा जं मग्गसि तं पणामेमि // 4 // नणियासा कणयाए नयवश्जें देसि मन परितुघा / ता तुंगं पुरमले मणिरयणं कुणसु पासायंधर एवं ति पणिऊणं विणिग्गया रकसी निययगणं। जीयत्व रकसीए पढमंचिय जामिणी नहार |त्तो सुहपमिबुझा समये दइएण कणगमाला सा। पिछठियमप्पाणं देवी विणि म्मिए जवणे 436 तं सुरजवणसरिठं दणं नण नरवश्लो / कणयादेविनिमित्तं देवीए विणिम्मियं जवणं 44 नवणगवलंमि लिया जिणजवणपश्वयं पलोयंति।कुणश्रश्रयणीए पदियहं कणयमाला साध्य है। तो सा सग्गा जिणम देवी बोहणघाए। श्रागंतूणं पत्नण कणगं रयणीपबके // 46 // 2 जाकीलेसुँ किसोअरि कंचणमणिरयणघमियनवणेसुरतंजम्मंतरजिणलवणे दीवदाणस फलमेयं / एवं सा पश्दियहं पुणो पुणो पढ बोहणघाए / सावि मणेणय चिंतश्को एसो पदिणं पढवण जर एही कोविमुणी अश्सयवरनाणे रिछिसंजुत्तो।ता पुनिस्सं एयं श्य कणयाजा विचिंते३४ए ता बहुसमणसमे समाग गणहरुत्ति थायरि / अश्सयनाणसमे समोसढो नयरउजाणे / 1 दश्या / 2 नहु / 3 पसन्नरूवं च / / अत्तणो / 5 जइ। 6 पुरवरीलोड। 7 जंकीलेसि / दीवयदाणस्स |ए मणेणं / 10 होही। 11 सिद्धि। 12 कणयमाला जाव चिंते। FASAHASRAHASRAS1111 // 27 // De Ac Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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