Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 57
________________ कंचणदंगसमूसियधयमालालंकियं करेऊण / कलसोवरिं पश्वो उवि वररयणनिम्मविउँ // 6 // मुत्तूण कुसुमवुहिं गंधोदयमीसियं च जिणनवणे / तिपयाहिणी करेलं वंदति य दोवि रिसहेसं 7 थोऊण जिणवरिंदं पुणो पुणो नत्तिनिप्परमणा / पत्ता नियहाणे सेवंति जहछियं सुकं // 20 // धणसिरिदेवी देवाऊयंमि खीणंमि निरवसेसंमि। चविऊण समुप्पन्ना हेमपुरे राणो जाए नामेण कणगमालो सीसे सेसिब सबमहिलाणं / नियजीवाजे हा मयरघ्यनामधेयस्स // 30 // अह तस्सं पढमयरा मश्रानामेण राश्णो दश्या / सा परिजवपुकेणं मरिऊणं रकसी जाया 31 ॐ कणगमालाइसहि विसयसुहासत्तमाणसो राया। दोगुंगो देवो गयंपिकालं न सके। // 3 // वासहरंमि पवा रयणीए ती देहकंतीए। पहया रवितेएण वे नित्तेया ते पयासंति // 33 // * सा रकसी नरिंदं दश्यासत्तं वियाणिलं कुका / रयणी अझरत्ते समागया राश्णो पासे // 34 // * दाढाकरालवयणो जीसणनयणो कयंतरूवोय / मुक्को ताण वह वेनविय विसहरो तीए // 3 // सो कणयाए तेयं असहंतो लोयणे निमीलेई / उहहिणय लिउँ नियकायं कुंमलीका // 36 // जाव न पहवर सप्पो ता अश्कोहानलेण पङलिया / मुक्को नीसणसद्दो पाणहरो मंदसत्ताण 37 | १तिपयाहिणं / 2 कणयमाला। 3 नियजीवियाउँ / तीयेविय / 5 दढमश्रा नाम / 6 दोगुंगव / 7 या / पविच / ए वि।१० रयणीए / 11 कयंतरूबुब / 12 विजबिय / 13 निमेलेलं / 14 उहदेऊण / |15 कुंमलेऊणं / 16 तावय कोवानलेण जलियाए। DIA Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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