Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ 5 दीपपूजाकथानकम् जो दे दीवयं जिणवरस्स लवणं मि परमजत्तीए।सो निम्मलबुधिरो रमश्नरो सुरविमाणेसु 13 जिणजवणंमिपश्वो दितो जत्ती परमकहाण।जह जिणमई पत्तं धणसिरिसहिया देवत्तं // 2 // अबिबजरह खित्ते नयरं महिमंमलंमि सुपसिझं / मेहपुरं नामेणं विबुहावासं सुरपुरं व // 3 // |8| तब पुरे नरनाहो मेघो नामेण वसश्सुपयावो / जो वरिगयवराणं सीहो श्व दप्पनिद्दलणो // 4 // तमि पुरे गुणजुत्तो जिणवरचरणचणंमि उझुत्तो। संमदिही सिही सुरदत्तो नाम परिवस॥५॥ निम्मल जिणधम्मरया निम्मलगुणरयणनूसीयसरीरानिम्मलसीलाहरणा सीलवई नारियातस्स है निम्मलेसम्मत्तरुई जिणमश्नामेण ताण वर धूया।तीए धणसिरि सहिया रहिया सम्मत्त बुद्धीए / उन्निवि समसुहसुहियाऽन्निविसमपुकारिकयायाऽन्निविसमनेहाउन्निविसमरूवसोहा | अह अन्नया कयाई जिणनवणे जिणमई जिणिंदस्स। दिती पवरपश्वं दणं धणसिरीजण ए8 है पियसहि साहेसैं फलं दीवयदाणेण जिणवरिंदस्स। जेणाहं पसंझे जिणनवणे दीवयं देमि 10 नणिया य जिणमईए नदे जत्ती जिणवरिंदस्स। दीवयविहिदाणफलं सुरनरसुखं च मुकंच११ है विमला बुद्धी देहो अखंमि हवश्वीयरागाण। दीवयविहिदाणफलं रयणाणिय बहुपगाराणि 15 1 पईवं / 5 जावेण / 3 सहकवाणं / / जिणमइए / 5 मेघपुरं / 6 चलण / 7 वरदत्तो। 7 सीलमई / / ॐाए तं निच्चल / 10 मुन्नवि (4) / 11 साहेह / 12 पि तिसंनं / 13 बहुप्पयाराणि / WicGunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak The

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