Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 46
________________ अष्टप्र. सोलस मुहुत्तगाई सूश्नवेजंसूई हे उविया।अंमंहरिऊण तए सुअविरहोतेण तुहजार अदत जो दुकं व सुहं वा तिलतुसमित्तंपि देश् अन्नस्स।सो बीअं व सुखित्ते परलोए बहुफलं लहएरज्या // // पूजा. द सो गुरुणोवयणं गुरु पछायाव तावियमणाए।जम्मंतर उच्चरियं खमावियासा र तीए // 16 // तीएवि नहिऊणं नणिया जयसुंदरीवि नमिळणं। खमसु तुमंपि महासजंजणियं तुलसुयफुलं नणिया गुरुणा उन्नविजं बझं मछरेण गुरुकम्म। तें अऊ खामणाए खैवियं तुम्हेहिं नीसेसं॥१७॥ नणश्नरिंदो जयवं अन्ननवे किं कयं मए कम्म।जेण सह सुंदरीए कुमरेण य पावियंरऊ॥ 17 // जहें सुगजमंमि तए जिणपुर अस्कए खिविऊणं / संपत्तं देवत्तं रऊं तहँ साहियं गुरुणारए02 जं जंमंतर विहियं अकयपुंजत्तयं जिणंदस्स। तस्स फलं तुह अऊ वि तश्यनवे सासयं गणं रए | श्य नणिए सो राया रऊ दाऊण रश्यपुत्तस्स / जयसुंदरिकुमरजुर्ज पवन गुरुसमीवंमि // 15 // ॐ पवऊ पालेउं सहि दवाए तहय पुत्तेणें / मरिजण समुप्पन्नो सत्तमकप्पंमि सुरनाहो॥१३॥ तत्तो चुरी समाणोलकूण सुमाणुसत्तणं परमं। पाविहिसि कम्ममुक्कोअकयसुकै गर्ड मुखरए जह राया तह जाया कुमरो देवत्तणं मि जो देवी / चत्तारिवि पत्ताअकयसुरकंमि मुंबं मि॥१९॥ (पूजाष्टके तृतीयकथानकं) इति अदतदेवपूजायां कथानकं समाप्तम् / // 21 // 1 होइ / 5 सुन्निवि / 3 वा / 4 खमियं / 5 अह / 6 अकयेहिं विऊण / 9 पुणरङ / रईऽ पुत्तस्स / ए गुरु सयासंमि / 10 दश्याइ। 11 पुत्तहिं / 12 सासयसुरकं / 13 सा। 14 सासय सुरकत्ति मुरकत्ति / DIAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak. To

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