Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 44
________________ अष्टप्र. // 20 // निच्चं चिहामि चिर्न कम्मरलयकारणं मिसायंतो।हेमपुरे सविसेसं साहिस्स केवलीतुश॥१६॥ अक्षत श्यनणितंनमिजंसहिजणणीएसोगउंगेहाजणणिजणएहिं दिछोहरि सियहियऐहिंसोविमाणी 8 पूजा. एगंतेउविऊणं चलणवलग्गेण पुछिया जणणी अम्मो साहिह फुझकह जणणी मन को जणउँ६३ हूँ चिंतश्सासविश्का किं एसो अऊ पुन्छए एय। पत्नण पुत्तय अहयं तुह जणणी एसजणउत्ति 164 सचं अम्मो एवं तह विहु पछामिजम्मदायारे।तं परमबं पुत्तय तुह जाण एस जणउत्ति // 165 // तेणविपरितुणं कहिलं पमलाश्वश्यरो तस्स।तह पुण जण पुत्तय विन्ना कोविनहो सम्मं 66 नणि कुमरेण पुणो एसाजा ताय श्राणिया नारी।सा वानरीए सिहा एसा तुह जम्मजणणित्ति६७४ मुणिणा विहु पुछेणं एयं चिय साहिऊण नैंपिउहं।हेमपुरे गंतूणं पुष्ठसु तं केवलि एयं // 160 // 4 तो" ताय तब गंतुं पुछामो केवलिं निरवसेसं / जेणेसो संदेहो तुदृश् मह जुन्नतंतुव // 16 // श्य जणिऊणं कुमरो चलि सह निययजणणिजणएहिं। संपत्तो हेमपुरे केवलिणो पायमूलंमि७० __ (श्य जणिकणं चलि सहि सह जणणिजणयलोएहिं ) इति पागंतरं त्तिनरनितरंगो केवलिणो पायपंकयं नमिजं। उवविठो धरणियले सपरियणो सुरकुमारुव // 17 // जयसुंदरीविदेवी बहुनारिसहस्स मसयारम्मि। नियपुत्तेण समेया निसुण गुरुनासियंवयणं॥5 * 1 प्लाणंमि / 5 चित्तेहिं / 3 विमणो / 4 विलग्गेण / 5 साहेसु / 6 का / 7 सवियप्पा / " एवं / ए पुछामि / 10 कारणं किं तु / 11 विन्नान किंचिनहुसम्म / 12 ता / 13 मह / 14 सविसेसं / 15 ता। 16 तो कुमारोय। // 20 // IAC Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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