Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 51
________________ नणिया सा नियपिउणा दिहिं परिकवसु रायपुत्तेसु।साहसुजमणझं वरेमि तं तुझ कोण॥५१॥ खिविऊण तेसु दिहिं पुणोवि एयाजतिसंवरिया। नयणाण न रुच्चश्तं किं हिययस्स पमिहा तेसु विरत्तं चित्तं धूवाए जाणिकण नरनाहो।नीसेसरायरूवं पमिलिहिउँ ती दंसेश // 53 // है तेहिंवि दिरोहिं पुणो दिही नहु रमश्रायकंनाएँ। कमिवि कम्मवसेणं दि दिही धिई कुण॥५॥ चिंतऽस्कियहिय ती पिया नूण श्च लवणं मि। जोधूयाए रुच्चइँसोकोविननिम्मि विहिणा जयकुमरस्सवि रूवं पडएँ लिहिऊण दंसियं तीए। हरिसुध्यिपुलयाए पलोश्यं निदिछीए५६ मुणिया सा नरवश्णा जह जयकुमरंमि साणुराउत्ति। अहवा हंसी हंसं मुत्तूण न वायसं महश्५७/8 कन्नादाण निमित्तं राया सदाविळण नियमंती / पेसेश् य पउमपुरे पासे सिरि पनमरायस्स॥५॥ गंतूणं पलमपुरे पनमरहं पण मिकण सो नण।सुरपुर नयरा 12 समाग तुझेपासंमिणार सुरविक्कमनरवश्णो पत्नणश्महअनि सुंदरा धूयासातुहसुयस्सदिन्ना विणयसिरीजयकुमारस मंतिवयणाज तेण वि पमिछिया तस्स राणो धूया।अहवा घरमावंति को नेश्अत्तणो लछि 616 | कहि कन्नालानो" नरवश्णा तस्स जयकुमारस्स। कुमरोविहु परितुझो रिद्धीलानेण अधणुवे॥ हूँ सम्माणिऊण सम्मं विसङि सोवि राणा मंती। सोविय विवाह दिवसं कहिऊण समागऊ नयेरं | १ताए / 2 फडत्ति / 3 सेस रायाणरूवं / पडिलहियं / ए रायधूयाए / 6 नुवणेवि / 7 रच्च। पडिए। गए हरिसुच्यि / 10 निढ / 11 साणुरायत्ति / 12 अहं / 13 तुन / 15 सुरविक्कमो नराहिव / 15 विजयकुम-15 / रस्स। 16 घरमायंती। 17 कन्नालाहो / 10 रिधीलाहेण / १ए अहणुव / 20 नयरिं। CRISISOORHISHAHAHAHIROSHIRISAARE* RIAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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