Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 50
________________ अष्टप्र. कुसुम प्रजा. // 23 // जएवं ता मावि एसोविये जावजीव नियमुत्ति।कायवा जिणपूया निच्चं चिय तिन्नि संशा 378 नणि धन्नोसि तुमंजस्समईतुन एरिसांजाया।नहु जिणपूयाश् मई संजायश् मंदपुन्नस्स॥३॥ एवं उन्हें पिसया जिणवरचरणचणं मि निरयाणं / वच्चंति ताण दियहाअखं मिय नियनियमाणं॥ मरणेवि स नियमेणं जिणवरचलणचणंमि निरयाण।मरिऊणं जायाऽन्निवि सोहम्मकप्पंमिग जति तब उन्निवि निच्चं हियछियाई सुकाई। पुवसमङियजिणवरप्याधम्माणुनावेण // 41 // अह रत्तो पउमपुरे पउमरहो नाम नरवईवस।पउमा नामेण पिया पाणपिया तस्स नरवश्णो 42 सोविय सग्गाउ चुर्व गुणहरजीवोवि तस्स नरवश्णो।जाऊ जय नाम सुर्च पउमागनंमि संजूज़॥४३ है। गहियकलागमकुसलो जुवर्णलायन्नतिपझिपुन्नो।जाउँ सो जयकुमरो पच्चर सुरकुमारुव // 4 // एत्तो सुरपुरनयरे राया सुरविक्कमुत्तिनामेण / नजा से सिरिमाला सिरिव सा वबहा तस्स॥४॥ लीलावश्चविऊणं सिरिमालाकुछिसंजवा जाया। विणय सिरी नामेणं सुरविक्कमराश्णो धूया // 46|3| जा सोहग्गगुणेणं हरिहरघरणिव हर हियया। निस्संगाण मुणीणय किं पुण सेसाण पाणीणं | * अह अन्नदिणे जणणी उचियं नाऊण पाणिगहणस्स।पेसेइ निययधूयं नरवणो पायमूलं मि॥४॥ अबाणंमिठियस्सयँ पिउणो सो पण मिऊण पयकमलं / उवविधा जलंगे पिटणा पुण चुंबिया सीसे | दणं तं कुमरि चिंताजलहिंमि निवमि राया। कस्सेसा दायवा चियेवरो नेवे दीस श्मीए // 23 // | 1 एसच्चिय / 2 एरिसी / 3 जोयण / 4 पच्चरको / 5 इत्तो / 6 मुणीणवि / 7 संठियस्सल / - नियपिउणो। ए सीसे परिचुंबिया पिजणा। 10 कुमारिं / 11 उचिठवि / 12 न / TAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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