Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 52
________________ अष्टप्र. सोहणदिकमि कुमरो जण्याएसेण परियणसमेट / संचलि य कमणं संपत्तो सुरपुरे नयरे // 6 // कुसुम सुरविकमनरवश्णा पयमिय गुरु गजरवेण परमेण ।संमाणिऊण कुमरो पवेसि विमल विहवेणध है। पूजा. " पाणिग्गहण मुहुत्ते' संपत्ते नूरिमंगलरवेणं / वित्तं पाणिग्गहणं कुमरीए सह कुमारेणं // 65 // 2 गमिळणं कवि दिणे गुरुय पमोएण ससुरगेहंमि। पुणरविकयसंमाणो संचलि निययनयरंमि६६ विणयसिरीए सहि कुमरोजा जाश्रन्नमसंमि। ता पिलश्यायरियं सुरमहियं साहुपरियरिय। * निम्मलसियवनधरं निम्मलसियदंतकंतिपंतिवें। निम्मलचजनाणजुयं निम्मलनाणं चनामेणंद है नणि विणयसिरीए सामिय दीस मुणीसरों एस। ता गंतूणं एवं वंदामो परमनत्तीए // 6 // एवंति पनणिऊणं कुमरोसो नीयपरियणसमेऊ / गंतूण मुणिवरिंदं वंदर विणएण परमेण // दाऊण धम्मलानं फुत्तरसंसारसायरुत्तरणं / जणि सोमणिवश्णा जयकुमार सुसाँगयं तुश॥॥ विणयसिरी विनणिया नद्दे तुह होउधम्मसंपत्तीश्यनणिएसापणमश्पुणोविपयपंकयं मुणिणो"|| चिंतंति" दोवि हियए जयवं कह मुणब्रह्मनामाइं।अहवाश्च न चित्तं नाणधरा मुणिवराहुँति है धम्मं जिणपन्नत्तं सोऊणं मुणिवरिंदवयणा / पुल नियपुवनवं नमिळणं मुणिवरं कुमरा // 4 // नयवं किं पुवनवे बहुपुन्नं अङियं मए विमलं / जेण हिययस्स झं पत्तं रऊं कलत्तं च // 5 // नणि तुमं महायस वणियसु आसि पुत्वजम्मंमिाजिठाय तुस का जश्णी लीलावश्नाम॥६॥ ॥श्वा 4|| 1 विहवेणं / 2 निमित्तं / 3 पतिकंतिम्लं / / दंसे / 5 मुणिवरो / 6 श्च / 7 सुसंगयं / विय / ए हो / 10 गुरुणो / 11 चिंतिति / 12 चोकं / 13 सुहपुन्नं / / IAC.Gunrainasuri M.S. Jun Gun Aaradhakti

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