Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ हेमपनोविय राया नियपुरनरनारिलोयपरियरिजाउवविछो गुरुमूले निसुणश्गुरुनासियं वयणे 173 पडावं लहिऊणं नरनाहो जण केवलिं नमिलं। जयवंसा महलजा जयसुंदरि केण अवहरिया : नणि सो केवलिणो हरिया नरनाह नियय पुत्तेणे। विम्हियहिये पनणश्नयवंकह तीए पुत्तुति - जो आसि तीए पुत्तो सो बालो चेव हये कयंतेण / कवलीकउँ महायस बीज पुत्तोवि से नहि // 17 // अलियं न तुह्मवयणं बीउ पुत्तोवि तीयसे ननि। श्य विहमिय कङपिव संतावं संसर्ड कुणइ // 17 // || जण मुणिंदो नरवर सच्चंमा कुणसु संसयं ए।जयवं कहसु कहंचिय अश्गरुकोउअंमलर कुलदेवय पूयाए वुत्तंतो ताव तस्स परिकहिजे। जा वेयढ पुरा समाग तंमि उजाणे // 1|| ॐ विष्फोरिय नयणजुङ जोयश् नरवश् तमुजाणं। तो विहमियसंदेहो कुमरोविहु नमतं जणयंर श्रालिंगिकण पुत्तं अंसुजलनरियलोयणो राया। रोयंतो बहुपुखं पुकेणय बोहिर्जु गुरुणा // 17 // (रोयंतोविहु पुकं उकेण वीबोहिउँ गुरुणा ) इति पागंतरं. जयसुंदरीविपश्णो चलणे गहिऊण तीए तह रुन्नं।जह देवाणवि परिसा बहुउकसमाउलाजाया (जह देवाणवि पुखं परिसामने समावन्नं ) इति पागंतरं. पुछो य रुयंतीएँ जयवं मह केण कम्मणा एसो।जा पुत्तविउँगो सोलस वरिसाण अश्ऽसहोर३३ 1 हेमप्पहोय / 5 जिणदेसियं धम्म / 3 तणएण / 4 विमिय हिय / 5 हत। 6 पुत्तुत्ति / 7 तं / पुत्तुत्ति। ||4|| " ए तोइसो।१० श्च / 11 कुलदेवय वुत्तंतो। सबोविहु।विश्वारिय।१३ तमुजाणे।१५ तो / 15 गुरूतीए।१६वरिसाणि / / CAUSSURES R AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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