Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 47
________________ // 4 // कुसुमपूजाविषे कथा // पुरजो जिणचंदं तिन्निवि संशाउ पवरकुसुमेहिं।सो पावश्सुरसुखं कमेण मुलं सयासुरकं॥ जह उत्तमकुसुमेहिंपूचं काऊण वीयरागस्स।संपत्ता वणियसुश्रा सुरवरसुखं च मुकं च // 5 // अत्थित्य नरहवासे उत्तरमहुराउरीन सुपसिधा / रायाविय सुपसिघोउ नामेणं सूरदेवुत्ति // 3 // तबय धणव नामो सिसी परिवस संपया कलि / नजासे सिरिमाला धूआ लीलाव नाम // 4 // अयिथ्य जरहवासे उतरमहुरापुरीय जयसिहि। नङा से सिरिमाला धूया लीलावई नाम // 3 // जायातीई कणिको मणको गुणधरुत्ति नामेण / उन्नविसहोयराइं विनूसणं सिम्गेिहस्स // 4 // सा अन्नया कयाई दाहिणमहुराइ सिहितणेएण।मयरध्य पुत्तेणें परिणीया विणयदत्तेण // 5 // 5 संचलिया ससुरगिहं सहिया नियपखवीई दासीए।पश्परियणपरियरिया संपत्ता नत्तुणो गेहं॥६॥ जाचिई ससुरगिहेता पिलश्सा कयाजिणबिंबं।वरमालश्मालाए समच्चियं नियसवक्कीए॥ अश्गुरुय मछराएँ अणामिछत्तमोहियमणाए।नणिया लीलावश्ए कुवियाए अत्तणो दासी॥७॥ चित्तूण श्मं मालं बाहिं नेऊण खिवसुवामीए। मशंति लोयणा मह मालं पिछमाणीए // ए॥ तीश्वयणा दासी पुर जा जा जिणवरिंदस्स।ता पिलश् नयनीया तं मालं सैप्परूवेणं // 10 // 1 पूय। 2 वरसुरकं / 3 वीयरागाणं / 4 नजाणगएण / 5 विक्षणं / 6 धाई बीय / नत्तणो / अन्य / |ए सवत्तीए।१० मन्चराइए / 11 बाहे। 12 सप्परूपेणं / Gunratnasun M S Jun Gun Aaradhak

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