Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 42
________________ अदत पूजा. अष्टप्र.६ किं हससि तुमंसामिय हसियाहं निग्घिणेण देवेणा किं कश्यावि सुवबह वंशा पुत्तं च पसवेश्३५॥ 8 // 1 // पनण पहसियवयणो जश् मह वयणेण नैछि सदहणांता पिछेहिं सयंचिये नियपुत्तं रयणरासिंवै३६ हूँ। श्य संसयहिययाए परमचं साहिऊणसा नणिया। नियपुत्तविरहियाणं अम्हाणं एसपुत्तोति१३॥ पमिव जिऊण एयं नी नयरंमिसोय पइदियहं। परिवढे कलाँहिं सियपरकर्ग मियंकुच // 13 // | साविय रश्मयबालं सीसोवरि नामिऊण देवीए।अफालई तं पुर ववव सिलायले तुहा // 13 // गंतूण तनवणे संपुन्नमणोरहा सुहं वस।यसुंदरीवि दियहा सुयविरहे फुस्किया गम॥१४॥ || कयविजाहरनामो मयणकुमारुत्ति गहियवरविजो। वच्चंतो गयणयले पिछश्तं अत्तणोजणणिं४१६ नवणगवकारूढासुयसोयनरंतनयणसलिलोहा।श्रश्नेहनिप्तरेणं उरिकत्ता मयणकुमरेण // 14 // * तं दखूण कुमारं हरिसैवसहं च नयणसविलेन। सिंचंती य अवलोयश् पुणो पुणो निझदिहीए 153 है। उपियवाहो लो धाहावश्पुरवईऐ मशंमि। एसाहरि घरिणी नरवश्णो उच्चकंठेणं // 14 // 2 अश् सूरोविहुराया पयचारी किं करेगयणेंजे।खुजाउँ किं कुणइ फले तरुसिहरपयहिए दिले 145 चिंतश्मणंमि राया पुख्खयखारसंनिहं जायं। युग सुअस्स मरणं बीअं पुण नारियाहरणं 146 // ॥रणा. 1 पसूएइ / 2 वयणे न अधि। 3 सहियंचिय / 4 रयणरासिव / 5 पुत्तुत्ति / 6 एवं / 7 कलाहिय / सियपरका / ए सावि रई। 10 अप्फालइ / 11 जयसुंदरी। 12 हरिस समुहासि लोयणजलेण / 13 पुरवरी। |14 गहिजा। 15 गयणयले / 16 खजा। 17 इक्कं / SI A Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak. TU

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