Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 40
________________ अष्टप्र. ॥रजा SACRE इय नणिए सोमंती जवणगवरकस्स हिकमीए।काराविऊण कुंझारोहश्अगरुकठेहिं // // अक्षत साविय कयसिंगारा नमिऊणं जणश्यत्तणो कंत।सामिय महजीवेणं जीवसु निवमामि कुंमिए 8 पूजा. नणश्सदुकं रायामशकए देवि चयसुमा जीय। अणुहवियत्वं च मए सयमेव पुराकैयं कम्म॥१॥ पत्नणश्चलणविलग्गासामिय मानणसुएरिसं वयणाजं जाई तुम को तं संहलं जीवियं मशरण उभारणं करेचं अप्पाणं सा बलावि नरवश्णो।नवणगवके गलं जलिए कुंमंमिपरिकवर // 15 // अह सो रकसनाहो तीसे सत्तेण तोसि सहसा।अप्पत्तं विय कुंडे हुयास पूरं समुरिकव // 13 // नणिया रकसवश्णा तुझोहं अऊ तुन सत्तेण।मग्गसुजं हियशंदेमि वरं तुम किं बहुणा 14 जणणिजणएहिं दिन्नो हेमपहोमहवरो किमन्नेण।मग्गसु तहविहु नद्दे देवाण न दंसणं विहलं१५ जइएवं ता एसोमहनत्ता देव तुह पसाएण।जीवन वाहि विहीणो चिरकालं होउ एस वरो // 16 // एवंति पत्नणिऊणं दिवालंकारनूसियं काउं / कंचणपउमे मुत्तुं देवो अदंसणीहूजे // 117 // जीव तुमं जण जणो सीसे पुप्फकये खिवेऊण। नियजीवियदाणेणं जीए जीवाविउ नत्ता॥१॥ तुछो तुह सत्तेणं वरसुवरं जंपिए पियं तुन। जणिया पश्णा पत्नण देव वरो मह तुमं चेव // जीवियमुझेण तए वसीकउहं सयावि कमलनि।ताअन्नं करणीयं जणसुतुमंजणसा हसि२२० ||जइएवं ता चिहज एस वरोसामि तुह सयासम्मि।अवसरवमियं एयं पठिस्सं तुह सयासाठ॥२१॥8॥१॥ Rs 1 नणि / 2 श्राऊरइ दारकहिं / 3 पुराणयं / / जायइ। एसुलहं।६नुयाहिं। मोत्तु।पसगासंमिाएपछिस।१०सगासा। A RSHASHARABHA HOIIAC.Gunratnasuri.M.S. Jun Gun Aaradhak

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