Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 39
________________ एवं असणविद्रणो चिहजा तिन्नि सत्तए राया।ता मंततंतकुसला विजावि परंमुहाजाया॥६॥ उग्घोसियश्सत्ती दिऊंति य बहुविहाइंदाणाई। जिणनवणेसु पूओं देवय आराहणार्ड य ए॥ * रयणीय पछिमझे पयमीहोऊण रकसो लणशकिं सुत्तोसि नरेसर जण निवो कहणु महै निदाए उयाणं करे अप्पाणं जश्नरिंद तुह नजा।परिकवश्अग्गिकुंडे तोजीअं अन्नहा ननि॥ एए॥ अजणिऊण नरिंदं विणिग्गउँ रकसो निययगणाराया विह्मियहिय चिंताकिं इंदजाबुर्तिर किंवा पुस्कत्तेणं अङ मए कि एस सुविणगो दिछो।अहवा न होश्सुविणो पञ्चको रकसो एस॥ ? तो वियप्पसहिया वोलीणा जामिणी नरिंदस्साउदयाचलम्मि चैमिळ सूरोविहु कमविणीनाहोर | रयणीए वुत्तंतो नरवश्णा साहिउँ सुमंतिस्स। तेण वि नैणि किङाउ देव श्मंजीयकांमि // 3 // है परजीएणं नियजीयरकणं नहु कुणंति सप्पुरिसा। ताहोउ मशविहियं श्य जणि राश्णा मंती || सद्दाविऊण सवा मंतिणा नरवयस्सै नजाउ। कहि रकसनणि वुत्तंतो ताण नीसेसी // 5 // सोऊण मंतिवयणं सवा नियजियस्से लोहेणें। गलं अहोमुहीउ न दिति मंतिस्स पमिवयणं॥६॥ पफुल्ल वयण कमला उछे जण महादेवी / महजी विएण देवो"जश्जीवशकिं न पहात्तं // 7 // | 1 जग्योसिकाइसंती। 2 संपूया। 3 मे / 4 उत्तारणं / 5 नियंगणं / 6 इंदजालमिणं / सुमिणगो / सुशामिणो / ए उदयाचलंमि चलिन / 10 समंतिस्स / 11 नणियं / 12 नरवश्स्स / 13 नीसेसा / 14 जीवियस्स || 15 लोनेण / 16 सा / 17 दा। Jun Gun Aaradhak K AC.Gunratnasuri M.S.

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