Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 36
________________ अक्षत पूजा. * ** * अष्टप्रनणि तीए राया सुपुरिस मह नवि किंपि करणिऊं। निस्कागहणेण अहं संतुहानयरमर्शमिद 4 गयवरखंधारूढं काऊणं निययपिययमा राया।संपत्तो नियनवणे आणंदमहसवं कुण॥६१॥ // 16 // 18 फलिहमयनित्तिघमिश्रा कंचणसोवाणथंननिम्मविया।काराविया निवेणं मढियाअजास्तुणंद पवश्या सा नरवर मरिऊणं अदृशाण दोसेणं।संजाया सुहसूई साहं पता तुह सयासे // 3 // दणं देव तुम तुहपास परियिं महादेविं / जायं जाईसरणं संजरियं तुह मए चरिथ॥६ र सोऊण ती वयणं रोवंती जण सामहादेवी। जयवश् कह मरिजणं संजाया परिकणी तुमयं६५ मा ऐसि किसोयरिपुस्तित्ता अऊ म जमेण / कमवसेणं जीवो तं नबिह जंन पावे // 6 // तेण तुमं दिइंतो दिन्नो नरनाह महिलियाविसए। सोऊण श्मं राया संतुझो सूगै लणएँ॥६॥ सच्चो दितोहं दिन्नो तुम ऐन महिलियाविसए।ता तुझोहं पक्षणसुरुं तंपणामेमि // 6 // है पत्नणसुई निसुणसु महको नाहै अत्तणो जत्ता।ता तस्स देसुजीयं नहु कडं किंपि अन्नेणादा हसिऊण जण देवी देव तुमं कुणसु मनवयणेण। एयाए पश्दाणं लोयणदाणं च निच्चपि // 7 // जणिया सा नरवश्णा वच्चसु नद्दे जहि छियं गणं।मुक्को य एस नत्ता तुझेणं तुझ वयणेण // 1 // 1 सुपुरिस / 2 तुलनयरमि / 3 पिययमं / अटलाण / 5 हं सूक्ष। 6 सा संपत्ता / 7 पध्यिं / 7 वारिय तुन्न चरियं च / ए रोयंती। 10 य तुमं / 11 फुरसु / 12 पुरकता। 13 जीवाणं / 14 तं नजि जं न संजवर 15 सूश्यं / 16 जण। 17 सच्चं / 10 श्च / १ए देव / 20 तु निच्चपि / * *** ** // 16 // **** ACMC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TEIE

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