Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 28
________________ अष्टप्र.ता गिन्हिस्सं' दिकं रऊपुण देह विमलकुमरस्स।श्य निवि मुणे रो संगवि विमलो // धूपपू. // 1 // | विनयंधरोविरजं निश्रयं दाऊण सबवाहस्स। पिउणांसह पवन पासे मुणि विजयसूरिस्स 120 / उग्गं तवो विहाणं काऊणं संजमंमि उकुत्ता। मरिऊण समुप्पन्ना माहिंदे सुरवरा दोवि॥१२॥ जुत्तूण तब सुरकै उन्नवि चविऊण श्राजय खयंमि। जण जार्ज राया खेमपुरे पुन्नचंपुत्ति॥॥ * पुत्तोवि तंमि नयरे खेमंकरनामधेय सिहिस्स। पुत्तो विणयमईए गप्ने जनाए जाउत्ति // 13 // जमावि विसुको निच्चं चिय निम्मलाउ अंगार्ड। उन्बलइ धूयगंधो धूवंतो परियणं सयलें // 12 // वाहरश् जेण लो सिहीपुत्तुत्ति धूयगंधुत्त / तेणंचिय से जायं" नामं से धूयसारुति // 125 // लोगो धूवियवबो सुअंधदेहेणे धूयसारस्स / वच्च नरिंदनवणं पुनश् तं विह्मि राया // 16 // ||साहेह कब लको देवाणवि वबहो श्मो धूवो / जेण सुअंधो" गंधो संजा तुह्म वसु // 12 // पत्नण लोगों" सामिय धूवेण न धूवियाई वनाई। धूवावियं पयत्ता देहेणं धूयसारस्स // 12 // (संसग्गा एसो संजा धूयसारस्स) पागंतरं संजायमछरेणं रन्ना सदाविऊण सो पुछो / केणयधूवेण गंधो देहा तुह समुबलि // 12 // गाथा 125 मी पनी नीचेनी गाथा बीजी प्रतिमा डे सोऊणं इमं वयणं नरवशमहिला नियवहाई॥धूावित्रं पयत्ता देहेणं धूयसारस्स // 1 गिन्हेसु / 2 निचय / 3 पिउणो। जोए। सुन्नि। 6 पुन्नचंदोत्ति। जाउय / तस्स निम्मलंगा। ए सबं / 10 सिकी पुत्तोय धूयगंधेण इति द्वितीयपादः। 11 संजायं। 12 धूयसारोय / 13 सुगंधदेहेण / ||14 सुगंधो / 15 लो / 16 धूवेणकेण / ROSARIO // 1 // LISSASSES c.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TE!

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