Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 33
________________ तं ननिजं न कीरश्वसणासत्तेहिं कामबुझेहिं ।ता अबश्श्यरजणो हरेण देहध्यं दिन्नं // 2 // जह सिरिदेवीइकए देव तुमंजीवियंपि उड्डेह। तह अंनोविहु बड्ड को दोसो श्व कीरस्स॥ 3 // तीश्वयणेण राया चिंतश् हियएण विह्मियं ईतो।कह एसा परिकणीया वियाणए मश वुत्तंत॥४॥ * पत्नणराया नद्दे दितो कह कर्ज अहं तुमए। साहसु सवं एयं अश्गरुयं कोउयं मम // 15 // पत्नण कीरा निसुणसुदितो श्वजह तुमंजाजीथासि पुरातुह रोसामिय परिवायगाएगाश्६ बहुकूमकवानरिया जत्ता जारुदखंददेवाणं।सा तुह नजाश चिरं सिरिया देवीएं उवयरियार नरवश्णोहं नजा बहुलको एस मश लत्तारो। कम्मवसेणं जाया सबसिं दूहवा अहयं // 7 // ता तह कुणसु पसायं जयवश्जह होमि ववहा पश्णो। महजीविएणजीवश्मरश्मरंतीश किंबहुणा | नणिया एसा वछे गिन्हा तुमं उसहीवलयं / तं देसु तस्स पाणे जेण वसे होश्तुई लत्ता॥३॥ जयवर नवणपवेसोवि नवि कह दंसणं समं तेणं। कह सहीयवलयं देमि अहं तस्स पाणं मि३१ जर एवं ता जद्द गहिऊणं अऊ महसयासी / साहुसु एगग्गमणी मंतं सोहग्गसंजणणं॥३॥ नणिऊण सुहमुहत्ते दिन्नो पक्वाश्याश् सो मंतो।पूचं काऊण पुणो तीएवि पमिछि विहिणा॥३३॥ | जा काय सा देवी तंमंतं पदिणं पयत्तेण / ता सहसा नरवश्णा पनिहारी पेसिया जण // 34 // __ *आ गाथा बीजी प्रतमां नथी. 1 बडिंतो। 2 पत्तो। 3 बहुँ। 4 देवी। 5 दूहगा। 6 तीए / अगिएहाहि ते / ए पाणिमि / 10 महसगासाट / 11 काएसु य एगमणा / 12 सुहमहुत्ते / RIGunrainasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trus

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