Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 31
________________ // 3 // अदतपूजाविषये कथा. अखंमफुमियचुकरकएहिं पुंजत्तयं जिणिंदस्स / पुर नरा कुणंतो पावंति अखंमियसुहा॥१॥ जह जिणपुर चुरकरकएहिं पुंजत्तयं कुणंतेणं / कीरमिहुणेण पत्तं अखंमियं सासयं सुकं // 2 // अनि नरहवासे सिरिपुरनयरस्सबाहिउजाणे। रिसह जिणेसरजुवर्णं देव विमाणंवरमणीयं // 3 // नवणस्स तस्स पुर सहयार महामुत्ति सडाउ।अन्नुन्ननेहरत्तै सुश्रमिहुणं तंर्मिं परिवस॥8/ अह अन्नया कयाई नणिर्ज सोतीअत्तणो जत्ता।आणेह मोहलो मे सीसंह सालिखित्ता॥५॥ नणिया सों तेण पिए एवं सिरिकंत राश्णो खित्तं / जो एयंमिविसीसं गिन्हश्सीसं निवो तस्स६ / नणि तीए सामिय तुह सरिसोनविश्व कापुरिसो"जो नङ पिमरणं श्छसि नियजीवलोहेण है ___(जो नङपि मरंति श्छसि नियजियलोनेणं ) इति पागंतरं. श्य जणि सो तीए जलाए जीवियस्स निरुविको"।गंतूण सालिखित्ते श्राण सोसालिसीसाणे एवं सो पश्दियहं रखताणंपि रायपुरिसाणं / आणेश मंजरी जनाएसेणे सो निच्चं // 5 // अह अन्नया नरिंदोसमाग तंमि सालिखित्तं मि। पिछश्सनणविलेत्तं तं खित्तं एगदेसंमि॥१०॥ HARRASARITHASHIRAISHAHARASHIRIAS | कांतेहिं २ऽचित। 3 बाहिरुजाणे। जवणं। एमुमुत्तितवसन्हा।६अन्नोन्ननेहवंतं। तब। दोहलो। ए सा। 10 कारिसो। 11 निरपिरको। 12 सालिसीसाइं / 13 लजाइ वसेण / 14 सनणिविलत्तं। & Ac Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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