Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 32
________________ अष्टप्र. // 24 // // पुछो य ायरेणं पुहश्पालेण सालियाबुर्ति ।किंश्च श्में दीसश्सउणेहिं विणासियं खित्तं // 11 // अदत सामिय ईको कीरो गछ सो सालिमंजरी घित्तुं। रस्किजंांतोवि दढं चोरुव कत्ति नासे॥१२॥ पूजा. जणि सो नरवश्णा मंमियपासेहिं तं गहेजणें ।आणेह मसपासे हणेह चोरुव तं 55 // 13 // (आणेयवो पासे सह सो चोरुव अश् पुछो ) इति पागंतरं. अह अन्न दिणे कीरो रायाएसेण तेण पुरिसेणं / पासनिबको निऊार सूईए पिठमाणीए॥१॥ पुविलग्गा धावश् अंसुजलापुन्नलोयणा सूई / पत्ता दश्रण समं सुकिया रायनवणं मि॥१५॥ अहाणहिराया विन्नत्तो तेण सालिपुरिसेणं / देवेसो सो सूर्व बको चोरुव आणी // 16 // तं दणं राया खग्गं गहिऊण जाव पहणे। ता सहसच्चिय सूई नियपश्णो अंतरे पमिया॥१७॥ पजण सूई पहणसें निस्संको अऊ मझदेहं मि।मुंचसु सामिय एयं महजीवियदायगंजीय२१० | तुह सालीए उवरिं संजा देव मोहलो मस। सो तणसरिसं काउं नियजीयं महवियंमि 1 | हसिऊण जणराया कीर तुमं पंमिउत्ति विकाठीमहिलाको जीयं जो चयसि वियस्कणो कहणु / पत्नणसूई सामिय अन्धन ताजणणिजणयवित्ताशनियजीवियंपि बड्डपुरिसोमहिलाणुराएणैर // 9 // Baa 1 सालिपालेय / 2 एवमिणं / 3 एसो। सोअगहिऊण / 5 तेहिं पुरिसेहिं / 6 पुछि। 7 दएण। अहाण। लिए तेहिं सालिवालेहिं / 10 पड / 11 पहरसु। 12 दश्यं / 13 पूरिखं इमिणा / 14 महिलाण रोगण / Ac.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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