Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ एवंति पजणिकणं सहसाजरको अदंसणी दूर्छ ।विणयंधरो विहु जिणं नमिळणं लणश्नत्तीए 60 / सामिश्र अंनाणंधो,तुह गुणपंथंमि गंतुं न समबो'।तं होउ मन पुन्नं, जं जिण तुह धूयदाणेणं 61 / श्य थुणिऊण जिणंदं पुणो पुणो पण मिऊण नावेण / अप्पाणंसुकय मन्नतो आगलं गेहं 6 अह तंमि चेव नयरे, रयणरहो नाम नरवई वस।नजाविध कणयाना, नाणुमई कंनगा तस्स 63 5 सा बहुसुयाणमुवरि ,संजाया वसहा नरवश्स्स। विहिणो वसेण मक्का, सा सुत्ता जग्गजुअगेण 64 श्य धाहधाहधावह, रायसुझा विसहरेण मक्कत्ति"।श्य कोलाहलसद्दो रंनो जुवणं मि उन्नलिउँ६५ र किंकिंति उबवंतो" नयणंसुजलेण धोश्य कवोलो।सह परियणेण राया समाग कंनगा जवणं / ॐ तो सुकं कळंपिवनिच्चिकं पिलिकण तं" कन्नं / राया निमीलियलो धसत्ति धरणीयले पनि 67 तं खयखारसमाणं नरवश्ऽकं वियाणि लोउ / अंतेउरेण सहिउँ धाहाव उच्चकंठेण // 6 // चंदणजलसित्तंगो चेयन्नं पाविऊण नरनाहो / वाहरश्सबकुसले विसहरविसनासणे विजे // 65 // विजेहिंवि परिहरिथा निच्चिछा जाणिऊण सा कंना।नीया महामसाणे वजिरबहुतूरनिग्घोसा७० | चंदणकहिंचियं रश्कणं जाव तपरिकत्ता। जलणोअ क पासे ता जं जायं तयं सुणह॥७॥ अह सोवियें विणयधरो गामं गंतूण जा नियत्ते। ता पिछा पेश्रवणे रोअंतं नरवईलोअं // 2 // 1 असमन्छो / 2 धूयडहणेण / 3 जिणिंदं / / सकय / 5 सगिहं / 6 वरि। 7 डसिया। पासुत्ता। ए अरि 10 डक्कुति / 11 य जपंतो / 15 नयणंसुयसलिलधोवियकवोलो / 13 तं सुक्ककगंपिव / 15 निय। १५सघिय / *1 Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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