Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 25
________________ किं एवं पेश्रवणं जंपाणं सङियं च किं एयं / किं एसोरुयश्जणो सरिक मल पासंमि' & बाहजबुलियनयणो राया तं नणश्पुत्ति सप्पेण ।दछातुमं निचिता विवङिया सत्वविकेंहिं // 7 // गयजीवत्ति मसाणे जंपाणे गविऊण एयंमि।आणीया तं वछे चियगाविये विरश्या एसा // 6 // दिन्ना य तुन पाणा निकारणवछलेण एएण। जइएवं ताय मए एयस्स समप्पिया पाणा // 7 // साहुत्ति जंपिऊणं गयखंधे गविकण नरवश्णा। विनयंधरेण समंचिय नियगेहे श्राणिया धूश्रा || ॐ काराविऊण राया धूवा पुण जम्मऊसवं नयरे। पुल नियमंतिजणं विणयंधर मूल संसुद्धीं॥ s नणियं मंतिजणेणं कंमगरो एस सबवाहस्स / एयस्स मूलसुद्धी जाणे सुबंधुसँबाहो // ए॥ सोविय पुछो पत्नणएयस्स न देव जाणिमो सुडिं। कूवाश्य वुत्तंतो सबोविय साहि तस्स // 1 // वजाहय चिंतश्तं वयणं निसुणिकण नरनाहो। जस्स कुलंपिन निऊ नियधूयं देमि कि तस्स है पमिव जिऊण कंनं नदेमि ताहोमि अलियवाश्य / श्य एवं जाव मिणं दोलावश्तस्सनरवश्णो | ४ता जरको परपत्ते गळणं नणराय जह एसो। पोयणपुरंमि पुत्तो नरवश्णो वयरसीहस्से // 5 // || कमला गप्नजप्पन्नो" जह एसो बड्डि" यरंनंमि। नारंपरिकगहिउ पमि जहँ कूवमसंमि एवं || 1 पासंति / चियगावि / 3 एयं / 4 जंमऊसर्व / 5 कम्मकरो। 6 जाण जइ। 7 सुधण। कुवाई।। ए वजाहब / 10 कह / 11 अलियवानत्ति / 12 वरपत्ते / 13 विजयसीहस्स। 14 गतप्पन्नो / 15 डिन / / | 16 लारुम / 17 ता पमिल / . C.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Tre

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