Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ श्रमप्र // on जाजलगहणनिमित्तं समागया सबवाहनियपुरिसा।तं निसुणंति रुयंतं कूवाउ समुहियं सदं // 4 // (ता निसुणंति य सदं / कुवमाध्यिं सत्वं ॥)पागंतरं तेगंतूण मसेसं सवं साहंति सबवाहस्स / सोविय सह पुरिसेहिं समागउँ अयमदेसंमि // 25 // तं दारएण सहियं पहियं सवायरेण सबाहो / कढवई मश्कुसलो विहियपउँगेण जं तेण // 26 // पजण पहष्मणसो सम्बाहं पण मिऊण सो पुरिसो।जीयं दितेणं दारयस्सँ महजीवियं दिन्न॥७॥ सत्थाहेण विजणियं कोसि तुमं दारगोवि को एस।जेणेसो पमिबंधो अहिययरो दारगेतुन 0 है पहिएण जणियं / दारिदपुकतविउ चलि देसंतरंमि जाविछ। बाढं तहान मिर्जापमिळ ता कूवमर्श मि // शए॥ गयणयला एसो दिछो कूवोवरिंमि निवझतो। गहिर्ज करुणाश्मए जा एयंमि पमिबंधो॥३०॥ असमलोऽहं एयं पालेलं वित्तवङिा जमा। गिह्नसु एयं सुपुरिस दिन्नो तुह दारगो एसो // 31 // 18 *सबाहेणवि गहिजे हवा तस्सहरिसियमणेणें / दिन्नं च तहा दाणं जह जाउँ धणवई पहिउँ 32 है। विणयंधरुत्तिनामंकाऊण समप्पिन पिययमाए / साविय गरुयसिणेहा पालश्तं पुत्तनेहेण // 33 // & विणयंधरं गहे अणवरयपयाणएहिं संचलिउँ / संपत्तो नियनयरे सबाहो कंचणपुरंमि // 3 // 1 असेसं / 2 साहिति / 3 निय / 4 अगडदेसंमि / 5 कढ़ावे। 6 दिंतेणय / 7 दारगस्स / ०य / ए तम्हा गिन्हसु एयं / 10 सवाएणवि / 11 मणेणं / 12 गुरुयसिणेहा। // G IA. Gunratnasuri M.S. - Jun Gun AaradhakTIA

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