Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ अष्टप्र. // 4 // मिलियाय तब बहवे विजाहर किंनराय नरवश्णो / सो मुत्तुं वरियो सीहधर्म सिवेपुरावासी॥ गंधपू. सवंतेउरमऊ संजाया ववहा नरिंदस्स / नियजीवियअन्नहिया सीया श्व रामदेवस्स // 3 // मन तं उवयारं तीए विडाहरेवि मुत्तूणं / एयाश् अहं वरि सयंवरे पायचारीवि // // एवं सह नरवश्णा विसयसुहं ती अणुहवंतीए। उन्नं तं कम्मं जं जणियं मुणिपुगंडाए 5 उबलियो ऽविसहो निवणदेहाउ ती तहें गंधो।जह थुलुत्ति नणंतो नास नयरीजणो सवो है तं दळूण नरिंदो ऽस्कनरानारपीमियसरीरो। दंसे सुविजाणं तेहिंपि विवजिया दूरं // 7 // घोरामवीश्मने तुंगमहालवणसंठिया वसइ / दूरयि सुहडेहिं रस्किडंती पयत्तणं // 7 // चिंतश्ऽस्कियहियया धिरतुंमे जीवियस्स एयस्स।जेणेरिसं सरीरं विणिम्मिय हय कयंतेण || अहवावि पुवनवे पावं अश्दारुणं मए चिन्नं / तेणेरिसो विवाओ संजाउँ मसदेहस्स ॥ए॥ तासहियत्वं एयं किं बहुणा विल विएण एएण।श्य चिंतिऊण सुरं संधीरई अत्तणो हिययं // 1 // है एवं जा पद्धंके चिहश् गुरुकुरकनिप्परसरीरा / ता वरजुवर्णंगवके पिलश् सुगमिहुणगं एगं ॥ए॥ नणि नियदश्याए सुसुश्गाश्पढमरयणीए।साहसु मनमहायस कहाणयं किंपिरमणीय।ए३॥ * मयणावलीविचिंत संतुहा साहु जंपियंमिमीए।जश् साहश्तोमस विडकविणोोकोहोश। 1 सीह / 2 सुरपुरावासी। 3 विजाहरवि। / तोगंधो। 5 धिरुन। 6 विनिम्मियं / अहवाविय / / ४सा धीर। ए जा।१० जवण। सोचा Jun Gun Aaradhak. Tn R AC.Gunratnasuri M.S.

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