Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ * सा गंतूणं पक्षण साहुतुमे सुयणु बोहिया अहये। तुह उवयारस्सअहं पमिउवयारं नहुसमना है तेणवि सा पमिलणिया नदेहं अऊ सत्तमदिणा।चविऊण खेयरसुयो होहामि नश्व संदेहो / पमिबोहेयवोऽहं पमिवन्नमिमी तस्स तं वयणं।जह होहीमहनाणं बोहिस्सं मुयसुमणखेय॥१५३ | 2 श्य जणिए सो देवो संपत्तो सहसुरेहिं नियगणं।सा विहु नियजत्तारं पनणश्महुरोहिं वयणेहिं 124|4|| 4 जुत्तं सुरलोयसुहं मणुयत्ते विहु तुमे समं नाह / हिंमुयसु महायस करेमिकलयं तेण॥१२॥ विहिणो वसेण सुंदरि रयणं नियकरयलाउ पनऊं / पुणरवि करयलचमियं को मुअ वियरको पुरिसो // 16 // जाणामि तुझ हिययं तह विहुमा नाह कुणसु पमिबंध। संजोयाउँ विगो जण कस्स नहोश् संसारे / गुरुनेहमोहमूढो पमिवयणं जाव देश् नहु राया।ता गुरुणो हरेणं पविऊईकत्ति सा दिकं // 12 // नमिऊण मुणिवरिंदं बाहजलापुन्नलोयणो राया। पणमश् सगग्गयगिरो पछा मयणावलिं अऊं // सुणिकण पुणो धम्मं गुरुमूले उहित राया। संपत्ते नियनवणे सविसेसं कुण जिणधम्म॥१३॥ मयणावली वि अजा विहरश्अजाहिं सह विहारेण / उग्गं तवो विहाणं कुवंती नावसुकीए // देवो विय चविऊणं उप्पन्नो पवण खेयरसुयत्ति" / जोयणे गुणसंपुन्नो नामेण मियंक नामुत्ति॥१३॥ हूँ 1 सुयण / 2 अहियं / 3 पडिवन्नं तस्स ती। 4 करयलपत्तं / 5 संजोगाउ / 6 पडिविज / 7 गुरुयणहै मूले समुछि राया। संपत्तो। ए य / 10 पवरखेयरसुय। 11 जुवण / 1 Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak

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