Book Title: Vijaychand Kevali Charitra Author(s): Chandraprabh Mahattar Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha View full book textPage 8
________________ अष्टप्र. * पंचमहत्वयरूवो जइ धम्मो वीचरेण से कहिउँ। सावगधम्मोवि तहा पंचेव अणुव्वया // 37 // विजय1 तह जिणवरस्स पूा सविसीसे सावगाण कायवा / संसारोवहिमहणी जणणी निवाणमग्गस्स॥ चंद. नमिऊण मुणिवरिंदजंपइसाहेह नाहे जिणाकविहन्नेथा जणिया किंव फलं तीए विहियाए / & श्यनणिएमुणिनाहोजंपश्नरनाहसुणसु जिणपूला। कविहन्नेबानणियाजंचफलंतीएविहियाए / वरगंध 1 धूय 2 चुकरकएहिं 3 कुसुमेहिं 4 पवरदीवहिं 5 / नेविङ 6 फल 7 जैलेहिं न जिणपूया अध्हा होई॥४१॥ अंगं गंधसुगंधं वन्नं रूवं सुहं च सोहगं। पावर परमपयंपिहु पुरिसो जिणगंधपूयाए // 4 // जह जयसूरनिवेणं जायासहिएण तश्य जम्ममि / संपत्तं निवाणं जिणिंदवरगंधपूयाएँ // 3 // " गंधपूजापरनी कथाना प्रारंजमा एक प्रतिमां - मी गाथा पजी नीचेनी उगाथा वधारे " .. पणमह तं नान्निसुयं सुरवसंकेतलोयणसहस्सं / कमकमखंव विराय नह सिधे जस्स पयजुयले // 1 // नमिय सुरासुरसुंदरिजालयलगलंतकुसुमकयपूयं / पणमह जयसिरिनिलयं सेसजिणाणं च पयकमलं // 2 // विहमियकम्मकलंक कयकेवलतेयतिहुयणुजोयं / सुरनरकुमुयाणंदं नमह सया वीरजिणइंदं // 3 // नमह सुरासुरमहिए सिधे नीसेसकम्ममलरहिए / निम्मलनाणससिके सिधिसुहसासयं पत्ते // 4 // जीउपसायसमीरणसमादयंगलश्मेहविंदं च / अन्नाणं जीवाणं तं नमह सरस्सई देविं // 5 // निसुण सुयणो तह. सुजाणोन गुणदोसग्गहणकयचित्तो। सिरिविजयचंदचरियं परितुमिनिबंधणं भणिमो // 6 // 1 संसारोदहि।२ नाण / 3 जलेदिय / जिणपूाणेगहाणिया / 5 सुयंधं / 6 सुयं / मिमि। पूया। OSHIHIRISHOISISTUSRAHASIS * * * LAc.Gunratnasuri M.S. Jun Gun AaradhakPage Navigation
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