Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 7
________________ धम्मस्स दया मूलं दयाए मूलं विसुवरनाणं।नाणे विहु संपत्ते सुपुलहो चरणपरिणामो॥ है तंमियखाश्यनावो खाश्यनामि केवलं नाणं / केवलनाणे पत्ते संपत्तं सासयं सोकं // 25 // श्य सोऊणं सब्वे केवलिमुहकमल निग्गयं वयणं / पमिवन्ना किवि दिलं अन्ने पुण सावगा जाया | सुरनरकिंनरदेवा सवेवि य केवलिं नमिऊणं / हरिसिय हियया सेवे संपत्ता निययगणेसु // // नयपि विजयचंदो देविंदनरिंदवंदपरिमहि। विहर मही महप्पा बोहंती नवियकुमुयाई // ॐ विहरंतो संपत्तो कमेण कुसुमप्पुरंमि नयरंमि।जब सुयो सुपसिझोहरिचंदो पलिवो वसई ए| है सुरनरकयपयपूर्व बहुसावयसाहुसंघपरिपूर्छ / गंतूण समोसरि नयरीए बाहिरुशाणे // 30 // & सुरनरवरपरिसाए सुरकयकणयासणंमि उवविछो।सुरसंथुयपयकमलो धम्म कहिचं समाढत्तो। एत्थंतरंमि राया हरिचंदो नयरबाहिरुलाणे।सोऊण नियय जणयं समागयं तिअसकयपूवं॥३५, हरिसाऊरियहिय नियपुरनरनारिलोउँपरियरि। राया वंदणहेचं समाग नियय जयस्स दखूण मुणिर्वरिंदंदूराउँ करिवराजे उत्तरिखं।आणंदबाहजलनरियलोयणो नमश् मुणिचंदं॥३॥ | मुणिवश्णा विहु रणो सीसे दाऊण निययकरकमलम्। जणि नवनिद्दलणो होसुतुमंधम्मलाहेण 8 नीसेसेविय मुणिणो जत्तीए नमंसिऊण नरनाहो। उवविछो गुरुमूले धम्म सोसुण नवनी 36 | 1 पडिवन्नाय / 2 वलिया / 3 महीं / / बोहितो / 5 कुसुमपुरंमि / 6 लोय / 7 तायस्स / 7 मुणवरिंदं / / एनीसेसाविय। CHAc Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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