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मादिक, यहा-
भावनया सानाs
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. उपसिंपदा शाल्यादिपु सम्मिलितमचित्तमन्नादिक, यद्वा-अचित्तष्यमादिषु निसिल सचिते शाल्यादि चेत्तदा कल्पितत्वात्साधुन ग्रहीप्यतीति भावनया संचितष्वचित्तस्थाऽचित्तेपुरा सचित्तस्य सम्मेलनमिर्त्यः, एप प्रथमः ॥ एवं सचित्तेनाऽचित्तस्याऽचित्तेन या सचित्तस्य' पिधान-सचित्तपिधान नाम द्वितियः ।२। काला साधो जनसमयस्तस्यातिकमा उल्लइन-कालातिकमः 'साधुःसत्कृतोऽऽपि भवेंद्रोजनीयमपि न पीया' दिति बुद्धचा साधुमोजनसमयमविक्रम्य मिक्षा दानार्थ प्रस्तुतीभवनमित्यर्थःएप प्रतीय. १,३1 परस्य, व्यपदेशाच्याहारवे इस प्रकार हैं-(१) सचित्त-निक्षेपण, (२) सचित्तपिंधान,,[३] काला तिक्रम, [४] परव्यपदेश, [५] मत्सरिता। 1, - (१) सचित्तनिक्षेपण-दान न देनेके अभिप्रायसे अचित्त वस्तुओंको
सचित्तधान्य आदिमें मिला देना, अथवा, कल्पनीय वस्तुओंमें सचित्त वस्तु-मिला देना सचित्तनिक्षेपण है । तात्पर्य यह है कि-" सचिच शालि आदिमे, अगर अचित्त मिला देंगे, या अचित्त अन्न आदिमें सचित्त शालि आदि मिला देंगे तो साधु-ग्रहण नहीं करेगे ऐसी 'भावना करके सचित्तमे अचित्त और अचित्त में सचित्त मिला देना
सचित्तनिक्षेपण अतिचार' है। 1. [२] सचित्तपिधान-इसी प्रकार पूर्वोक्त भावनासे सचित्त वस्तुसे
अचित्तको और अचित्तसे,सचित्तको हाक देना सचित्तपिधान अतिचार है। ...[३].फालातिकम-अर्थात् समयका उल्लघन करना। 'साधुकासत्कार
भी हो जाय और आहार भी न देना पड़े ऐसी भावनासे साधुके भोजन नि , (२) सत्तियिधान,-(3) selfit, (४) ५०यपहेश (५), भासरिता
(1) सभित्तनिक्षय-हान न पाना उत्तुशा अयित्त तुमान सथित धान्य આદિમ મેળવી દેવી, અથવા કથની વસ્તુઓમાં-સચિત્ત વસ્તુઓ મેળવી દો ' સચિત્તનિક્ષેપણું છે તાત્પર્ય એ છે કે સચિત્ત શાલિ આદિમાં જે અચિત્ત
મેળવી દઈશું, યા અચિત્ત અનાદિમા સચિત્ત શાલ આદિ મેળવી દઈશુ, તે સાધુ અતિ ગ્રહણ નહિ કરે એવી ભાવનાએ કરીને સચિત્તમ અચિત્ત અને ચિત્તમાં 'શ્ચત પદાથે મેળવી લેંવા‘એ સચિતનિક્ષેપણ અંતિચાર છે ?
(૨) સચિત્તપિધાન–એજ પ્રમાણે મૂક્ત ભાવનાથી સચિન પરથી અચજાને અને ચિત્તથી સચિત્તને ઢાકી દે એ ચિતપિધોને અતિચારે છે । (stallatio-मयत सभयनु GEL "सान wine