Book Title: Upasakdashangasutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 561
________________ अगारधर्मसञ्जीवनी टीका अ ७ मृ० २०६-धामिकरथवर्णनम् ४६३ खइयनत्थापग्गहोगहियएहि नीलुप्पलकयामेलएहिं पवरगोणजुवाणएहि नाणामणिकणगघटियाजालपरिगय, सुजायजुगजुत्तउज्जुगपसत्थसुविरडयनिम्मियं पवरलक्षणोक्वेय जुत्तामेव धम्मिय जाणप्पवर उवटवेह, उवटुवित्ता मम एमाणत्तिय पञ्चप्पिणह ॥२०६॥ तए ण ते कोडंवियपुरिसा जाव पञ्चप्पिणति ॥२०७॥तए ण सा अग्गिमित्ता भारिया पहाया जाव पायच्छित्ता सुद्धप्यावेसाड जाव अप्पमहग्घाभरणालकियसरीरा चेडियाचकवालपरिकिपणा धम्मिय जोणप्पवर दुरुहह, दुरुहित्ता पोलासपुर नगर मझं-मज्झेण निग्गच्छड, निग्गच्छित्ता जेणेव सहस्तववणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता धम्मियाओ जाणप्पवराओ पञ्चोम्हड, पच्चोरुडत्ता चेडियाचकवालपरिवुडा जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो जाव वंदइ नमसइ, बदित्ता नमसित्ता नचासन्ने नाइदूरे जाव पंजलिउडा ठिइया चेव पज्जुवासड ॥२०८॥ प्रवरगोयुवभ्या नानामणिकनकपष्टिकाजाल्परिगत मुजातयुगयुक्तर्जुकमशस्तमविरचितनिर्मित प्रवरलक्षणोपेत युक्तमेव धार्मिक यानप्रवरमुपम्थापयत, उपस्थाप्य ममैतामाप्तिा प्रत्यर्पयत ॥२०६॥ तत बल ते कौटम्बिकपुरपा यावत्मत्यर्पयन्ति ॥ २०७ ।। ततः ग्वलु माऽग्निमित्रा भार्ग स्नाता यावत्मायश्चित्ता शुद्धप्रवेश्यानि (शुद्धात्मवेष्याणि) यावदल्पमहाभिरणालट्कृतशरीरा चेटिकाचक्रवाल परिकीर्णा धार्मिक यानप्रवर दरोहति, दूध पोलासपुर नगर मय-मयेन निर्गति, निर्गत्य येनैव सहस्राम्रवणमुद्यान तेनैवीपागच्छति उपागत्य धार्मिका यानप्रवरात् प्रत्यवरोहति, प्रत्यवरुह्य चेटिकाचक्रवाल्परिता येनव श्रमणो भगवान महावीरस्ते नैवोपागच्छति, उपागत्य विकृत्वो यावद्वन्दते नमस्यति, वन्दित्वा नमस्यित्वा नात्यासन्ने नातिरे यावत्माञ्जलिपुटा स्थितेव पर्युपास्ते ॥ २०॥

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