Book Title: Upasakdashangasutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 630
________________ ५२४ उपासकदशास्त्रे चाली सह असीई, मट्टी मट्टी य सहि दममरस्सा | असीड चत्ता चत्ता, वह ण्याण य महस्मा ण ॥ ६ ॥ बारम अट्ठारम चउ, घीस तिण्हच अट्टरस नेय | धनेण तिचउवीस, बारस वारस य फोटीओ ||७|| चत्वारिंशत्, पष्टिः, अशीति, पष्टि पेष्टिय पष्टिर्दश महस्राणि । अशीतिचत्वारि चत्वारि व्रज एतेषा च सहस्राणि ॥ ६ ॥ १० १ 3 ४६५ द्वादशे अष्टादश, चतुर्विंशति', त्रयाणाच, अष्टादश ज्ञेया. । ९ ू धनेन तिस्र, चतुवैिशतिः, द्वादश द्वादश च कोटः ||७|| देव अम्णकान्त विमान में ५ चुल्लातक अरुणशिष्ट विमानमे ६ कुण्डकौलिक अरुणभ्वज विमान में ७ सद्दालपुत्र अरुणभूत विमानमे ८ महाशतक अरुणाऽवतस विमान मे ९ नदिनीपिता अरुणराव विमानमे और १० शालिनीपिता अरुणकील नामके देवविमानमे उत्पन्न हुवा | व्रजसख्या - गायोंके समुदायको व्रज कहते है । एक व्रजमें दस हजार गाये होती है । १ आनद श्रावक के ४ चार गोकुल (४०००० गायें थी) । २ कामदेव के ६ छ गोकुल (६०००० गायें) । ३ चुलिनी पिताके आठ गोकुल ( ८०००० गाये ) । ४ सुरादेवके ६ छगोकुल (६०००० गाये ) । ५ पाचवें चुशतक के ६ छ गोकुल ( ६०००० गायें कुडकौलिकके ६ उ गोकुल (६०००० गाये) । ७ मग १ एक गोकुल (१०००० गाये ) । ८ महाशतक के ८ आठ गोकुल (८०००० गायें) ९ नदिनीपिता के ४ चार गोकुल (४०००० गाये) । और १० शालिनीपिता के ४ चार गोकुल (४०००० गाये ) थीं ॥ ६ ॥ वैभव परिमाण - आनंद आवक के बारहकोटि सुवर्णमुद्रा थी (दीनारे) धन थी । २ कामदेव के अठारह कोटि दीनारे ३ चुलिनी पिता के चौवीसकोटि दीनारे ४ सुरादेव के अठारह कोटि दीनारे ५ चुल शतक के अठारह कोटि दीनारे ६ कुडकौलिक के अठारह कोटि दीनारे ७ सगलपुत्र के तीन कोटि दीनारे ८ महाशतके चौबीस कोटि दीनारे । ९ नदिनी पिता के बारह कोटि दीनारे और शालिनी पिता के बारह कोटि दीना रेथीं ॥७॥ ५ चोलोकी मर्यादा इन दश भावोने की जिनमे से १ वाहन (पगरखी आदि ) २ वाहन ३ शयन ४ मचित्त और " द्रव्य इन पांच चोलोकी मर्यादा को इसी सूत्र में उच्चपरिमाण विधिप्रकरण से जान लेना । औरगाधा में निर्दिष्ट इफीस २१ घोलोगी मर्यादा इस प्रकार है

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