Book Title: Upasakdashangasutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 632
________________ ११ उपासकदचासो उड सोहम्मवरे लोलुए अहो उत्तरे य हिमवते । पचसण तह तिदिसिं, ओरिण्णाण दसगणस्स ओही आणदसयगो ॥१०॥ दसण वय सामाइय पोसह पडिमाओ-अबभ सञ्चित्तेआरभ पेस उदिट वजए समणभूण य ॥ ११ ।। इकारस पडिमाओ, वीस परियाभो अणसण मासे । सोहम्मे चउपलिया, महाविदेहमि मिज्झिहिह ॥१२॥" इति ऊचे सौधर्मवर लोलुपोऽध , उत्तरे हिमवान् । पञ्चशत तथा त्रिदिशि. अवधिः आनन्दशतक्या ॥ १० ॥ दर्शन व्रत सामायिक पोपध-प्रतिमा. अब्रह्म-सचित्तआरम्भ मेष्या दिष्ट वर्जका• श्रमणीभूतश्च ॥ ११ ॥ एकादश प्रतिमाः, विंशति' पर्याया , अनशन मास । सौधम चतुष्पल्यका , महाविदेहे सेत्स्यन्ति ॥१०॥" इति । जाय) के सिवाय सबका त्याग और २१ मुखवाल विधिमे कपूर कोल जातीफल एला लवग इन पच गधद्रव्योंसे वासित ताम्बूल के सिवाय सबका त्याग ।।८-९॥ आनद आदि दश श्रावकों के इसमकार २१ सालों को मर्यादा या अभिग्रह जानना। श्रावकोके अबधिज्ञान की विषय मर्यादा आनद और महाशतक इनदोनों श्रावको का अवविज्ञान ऊवं. दिशामे सौधर्म नामके प्रथम देव पर्यन्त अधोदिशामे लोलुप नामके प्रथम नरकावास पर्यन्त उनरदिशामें हिमवान पर्वतपर्यन्त त्रिदिशामें (पूर्व पश्चिम दक्षिण दिशामें)५००-५०० योजन तक (लवर्णसमुद्रमे) देखनेकी शक्ति जाननी ॥१०॥ ११ श्रावकों की प्रतिमाओं के नाम १ दर्शनप्रतिमा २ व्रतप्रतिमा ३ सामाषिक प्रतिमा ४ पौषधप्रतिमा पाच साल प्रतिमा ६ कुशीलत्याग प्रतिमा ७ सचित्त वस्तु त्यागप्रतिमा ८ स्वयआरभ करने का त्याग ९ दूसरोंसे प्रारभरवानेका त्याग १० उद्दिष्ट त्याग (अपने निमित्त दिये गये भोजनादिमें अनुमोदन का त्याग) और ११ श्रमणीभुद प्रतिमा ॥११॥

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