Book Title: Upasakdashangasutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
४५४
उपासकदशावणे णित्ता सदालपुत्तस्स आजीविओवासगस्ल पंचसु कुंभकारावणसएसु फासुएसणिज पाडिहारियं पीढफलगसिज्जासथारयं ओगिणिहत्ता विहरइ ॥१९४॥ तए णं से सदालपुत्ते आजीविओवासए अन्नया कयाइ x वायाहयय कोलालभंडं अतोसालाहिंतो वहिया नीणेइ, नीणिता आयवसि दलयइ ॥ १९५॥
तए ण समणे भगव महावीरे सदालपत्त आजीविओवासय एव क्यासी-सदालपुत्ता | एस ण कोलालभडे कओ ॥१९६॥ तत खलु श्रमणो भगवान महावीर सदालपुत्रस्याऽऽजीविकोपासास्यैतमर्थ प्रतिशृगोति,प्रतिश्रुत्य सद्दालपुत्रस्याऽऽजीविकोपासकस्य पञ्चमु कुम्भकारापणशतेषु मासुकैपणीय प्रातिहारिक पीठफलफशय्यासस्ताकमवगृह्य विहरति ॥ १९४ ॥ ततः खलु स सदालपुत्र आजीविकोपासकोऽन्यदा कदाचिद वाताहतक कोलाल. भाण्डमन्तःशालाभ्यो पहिनेयति, नीत्वाऽऽत्तपे ददाति ॥ १९५ ॥
ततः खलु श्रमणो भगवान् महावीर सदालपुत्रमाजीविकोपासकमेवमवादीत-सद्दालपुन ! एप खलु,कोलालभाण्डः कुतः ? ॥ १९६ ॥ ततःखलु x वाताहतक-बातेन आईपत् हतक-हत शोपितम्, आममेव वायुना शोषितरस मित्यर्थः। कौलालेति-कुलालाना-कुम्भगाराणामिद कौलाल, तच्च तद् भाण्ड कौलालभाण्ड, कुम्भकारसम्बन्धिभाण्डानीत्यर्थ., जातिपक्षमाश्रित्येहाप्येकवचनम्। 'आतपे' इति, अत्र-शोषयितु '-मिनि क्रियाया अभ्याहारः ॥ १९५॥ -
कोलालभडे ' ज्ञति मूले पुस्त्व तु पाकृतत्वात् । (१९६) समण भगवान महावीरने सद्दालपुत्रकी इस प्रार्थनाको स्वीकार की, और एपणीय और पडिहारे पीठ फलक शय्या सथारा ग्रहण कर विचरने लगे ॥ १०४ ॥ इसके अनन्तर एक बार आजीविकोपासक सद्दालपुत्र, हवासे कुछ-कुछ सूखे हुए कुभार सबधी बत्तनोको अन्दरकी शालासे बाहार निकलता था, और निकाल निकाल कर खूब सुखानेके लिए 'धूपमें रख रहा था ॥ १९५॥ . સદાલતની એ પ્રાર્થના સ્વીકારી અને સદાલપત્રની પાસે દુકાનમાંથી પ્રાસક, એષી અને પડિહારા પીઠ ફલક શગ્યા સ થ ગ્રહણ કરીને વિચારવા લાગ્યા (૧૪) ત્યારબાદ એકવાર આજીવિકપાસક સાલપુત્ર, હવાથી જરાતરા સાયલા, કુંભારઆ બધી વાસણને, દરની શાળામાંથી બહાર કાઢતે હતો, અને કાઠી કાઢીને ખૂબ સુકાવવા માટે તડકામાં મૂકતે હેતે (૧૫)

Page Navigation
1 ... 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638