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उपासक दशाङ्गसूत्रे
न केवल 'चिव चयने' इत्यस्मादेव धातोयैत्यशब्दसिद्धिरपितु 'चिती सज्ञाने' इत्यस्मादपि ततश्च 'यथार्थ शन्दव्युत्पत्तिः' इत्यभियुक्तोक्तमनुरुध्यैव व्युत्पत्ति रनुसरणीयेतीह 'चिती सज्ञाने' इत्यस्मादेव धातोर्निर्वचनमकारो नतु 'चित्र चयने' इत्यस्मात्, सज्ञान च सम्यग्ज्ञान चैतन्य या, अस्तु वा 'वि चयने ' इत्येतन्मूवि रुक्तिश्रीयन्ते ज्ञानादयो गुणा अनेनेत्यर्थात् व्युत्पत्तिर्हि शना यथाकल्पन भिद्यते, नानार्थमाना तु प्रवृत्तिनिमित्तमपि, तथा चात्र ज्ञानवत्त्व मवृत्तिनिमित्तमादाय साधौ चैत्यशब्दमरत्तिः, यद्वा निरुदन्दानामर्थप्रत्यायने दीजिए कि “चैत्य ' शब्द न केवल 'चिञ् चयने ' धातुसे ही बनता है, किन्तु 'चिती सज्ञाने ' घातुसे भी घनता है । " शब्दोकी व्युत्पत्ति, अर्थके अनुसार होनी चाहिए " इस मान्यता के अनुसार अर्थको ध्यान में रख कर व्युत्पत्ति करनी चाहिए, अतः यहां 'चिती सज्ञाने' इस धातुसे ही चैत्य' शब्द बनाना चाहिए 'चिञ् चयने ' धातुसे नहीं क्योंकि सज्ञानका अर्थ सम्यग्ज्ञान या चैतन्य होता है । अथवा 'चित्र 'चयने' धातु से भी पना सकते है, वहा इसका अर्थ यह होगा कि 'जिसके द्वारा ज्ञानादि गुणोंका चयन होता है उसे चैत्य कहते हैं । कल्पनाके अनुसार व्युत्पत्तिमे भेद हो जाया करता है, और अनेकार्थ कोंका प्रवृत्ति-निमित्त भी भिन्न भिन्न होता है । अत एव यहाँ 'ज्ञानवत्व' इस प्रवृत्तिनिमित्तको लेकर ' साधु ' अर्थ में 'चैत्य' शब्दकी प्रवृत्ति होती है । अथवा जो रूढ शब्दोंकी शास्त्र आदिमे जिस अर्थमे प्रसिद्धि है थायो } "येत्य" शब्द an "चिञ् चद्यने" धातुथी जनता नथी, परतु “चिती सम्झाने " धातुथी पशु भने छे “शण्डोनी व्युत्पत्ति अर्थाने अनुसरीने થવી જોઈએ” એ માન્યતાનુસાર અર્થાને ધ્યાનમા રાખીને વ્યુત્પત્તિ કરવી જોઈએ, स्पेटो भी "चिती सव्ज्ञाने " मे धातुमाथी
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ચૈત્ય” શબ્દ બનાવવે है सज्ञाननो अर्थ सभ्यग्ज्ञान भा
लेह मे " चित्र चयने" धातुमाथी नहि, र शैतन्य थाय छे अथवा चित्र चयने" धातुमाथी या मनावी, तो तेनार्थ એવા થશે કે “જેની દ્વારા જ્ઞાનાદિ ગુણેનું ચયન થાય છે. તેને ઐ ય કહે છે” લ્પનાને અનુસરીને વ્યુત્પત્તિમા લે થયા ४रे छे, भने अनेकार्थानु प्रवृत्तिનિમિત્ત પણ જૂદું નૃદુ હાય છે એટલે અહીં 'જ્ઞાનવત્ત્વ એ પ્રવૃત્તિ-નિમિત્તને લઈને ‘સાધુ' અર્થમા ચૈત્ય શબ્દની પ્રવૃત્તિ સાસ્નાદિમા જે અમા પ્રસિદ્ધિ છે તે સિદ્ધિ
થાય છે, અથવા જે એનુ પ્રવૃત્તિ-નિમિત્ત છે એ એમ ન
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શબ્દાની