Book Title: Thulibhaddni Shilveli Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 9
________________ a - nte - - - हेहमेबोळामगानृपलेटीनावीशवे|| हेयोछामगातारांसमन्ने जिहांरायुंछा। भगाशुलवीरवयनछे सायुष्ठाभाटप ___पठास पांयभी गोकुखनी गोपीरेयासीव्हललरवाशी उरजेय उरीनेरे, याख्या गुणलरीया घरी विनय विवेरे, नृपने भलीया सपा लूपालना भुजथीरे, वात सध्द निसुएीए संसार स्वरूपा नेरे, यिते शिर धुएी ॥२॥ भेवात न नएीरे, वेश्याघर रमतां मातमशुराए पीरे,लुषालवलमतांप आउहेशवनी | स्वाभीरे,शी यिंताजी एसउडालने पाटेरी मंत्री पणुं सीएचसथूसिलरउहेतवरे, मालोचीमा एमालोये मागबरे, सुजसंपट पाएपाप्रपामउरीनेरेमशो ||जवने नावे सभतत्त्व विधारीरे,लोग ऊन - - Jain Edulltiona International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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