Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 56
________________ - - ( ५५ ) रसयूवा माग्यो,वागारंगना याप्यारेवारे एखपसी पड़वा बेहबुथयुं, वाघ्या मनोरथ वे सारो महागावा पठडी रोमरायीस सीयां, मसिमीयो मेरोएनसमांउमलस हिडेभ जेरो, तिमथूपिलर रह्यो मेरोरेमन हालापाखती सदी छूटडी खेतीन वाग मारी नजरे हेरीरे ध्यरतन उहे धन्य भु-|| निवरने, बेनमूने पाए श्रीमहारंगगा। ___ पहाछविध नाटणीने,थूखिला रनऽग्यो भन्न पविषयविनित विरहिए, अंतुं पछाडे तन्नपनलिभ में मनवशनी यो, पांयेही शुलट्टामेऊ भनाथामिनी,क्रोधडीयो दृहवाशासालसी ताः रामोस,हुंनवीयूछनाररा धीरपणुं में मायुं, योवन अथिर संसारपानवडू, पीतुं मोहनी, साघुने विषवेवराम न्नए। Jain EducIlona International For Personal and Private Use Only www.jainalibrary.org

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