Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( ७५ ) रिंशेराती तंबोदें पीछे सहुगाशायी रयरएायोसी पहेरी छे,बरी साससासेंये. हिरीछे, महडे जशमोघेहेरीछे, मसी सहस. जत्रीशभिमहेश छासहुगा तिहांनो, सीमाठेपटराएी,तुभे.सात्मसोहेवर गुए मापी, अमेहुं धुं तुमारोहीत नएी, हवे लाछेममृतवाएी सपना ५. उहेभिएी, ममने उहावो हीम थी सहोने एउपभएरी, परणो नहींश्या भाटे ममने होने से मांगी राना, रीनुशुं पुरन पड़े, निरवाह थी अयर सन् थडे, उिमराहयछमथयेनडे एउहेगा पन्नूलो द्वारिगनाथनी राई,त्रिहुं जंडना लूपनयासमरथ छेजेहवो तुम लागाउहेशानिऐसहस जत्रीन शीत्तमवरएी, वली सहसयोशडीप-||
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