Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 81
________________ - - (८०) मनहरी सीधुप होसुभाला, अमएगारेजन सिमरा अपनांएी एमेहवीछमी. तुमयी शोहावे, पण नारी विनाओए लोखावे, वसी सरवणेउरी नवराये पोस्ट पाए इएसारा लोनननीपावे,उप पीरसे.युग मनलावे, हुए प्रेमरसें रसणपन्न होवाट एशानिन नारी विसाभाडाम, ओगावरान जे विए वाम, वसी जमाहें नावेजमा हो। सटका घर लंग थथु होय तेन्नरो, पुणे त्रीया सालरे हुए टाणे, उहे गोरी मभृतशुरू ताणे। हो सटगाच्या १६. पहोवाडा, नारी बिना एजमसेन ताहार जुडुप होन्हानडीया,नारी विना परि|वार वारने मुंथुपमेमांडपी घरी विए तिहां घर उपनवे, भिसाघु प्रभुणभारपावि, सगो भित्र पडणुओई नावे हो पायापार - - - - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainkbrary.org

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