Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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छाएंतोगापााभुने असनवसन घणुधगेछ, हसाहससरीजालागेछ, भुने भोहना लावा गेछेहंतोगाशान्तरमोशन विद्यारीमनमोहें मर्घाणघरीशंडरयाहे,तो उरब्नसंताशुंथाहे हुतोगासार्नुभूडीयाप्योभावेशें, मुने घोडीयायूंटीपेशे,हेममृतउर्छमेहएण्डेशेपहुंतोपलाईन २५. एमरे निःसनेही,निपट निहेन्ननाथा उरी नानीललीउरी निननारी तल वात पशुनीमानी एमेनाइएी रातुन मनमां नेहवी हुती वेहेला, तो निश्चय नवि उरती पहेवां, हवे नागोथईजढे शहेसांमरेगापाताहा
हमाईनवीनशे,सापराविषउन्याहहिवासे, मजगमाहे उहेवन थाशेएनरेगा, पतेंप्रेम उस्पतमतरीयो, वसीयोगउन तश्तें घरीमो, पण भेनोभालवतुंवरीस्रोए मरेगागाजभोशिा मनमा लावी,मेम
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