Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ సాపాడుతుంటే తండ श्री.यूसिमलनी शीसवेलीवगैरे. मापुस्त आवमानोने मएवा वायवाने अथें श्रीमुंजापुरीमध्ये जम्ने सिटी प्रेसभा श्रावऊमीभशीहमारा छपावी प्रसिद्धमत्युं. రేవంతమవుతుంతలు संवतरल्हुना लाहपशुहिर रविवार सने १ल्च सिवी. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रामय थपिलस्नीशीयसवेसि पप्रारंमा पोहार एसयमसहूर पासल,शंजेश्वर शिरघरशिंजेश्वर डेशवनश,हरतउरत पगारापासरसबपन रसवरसती,स रसती लगवती नेहएशुलमति घयशुला गुर,प्रामुंत्रिउरएमेहाशालउरथून खिलरल,साघुसज्ला शिरारपतापतन पिनयन यथा,शुश्उहेर.अराग दलित वपन पहपद्धति रयशुशीयसनी विषयमाषमापसारीने,बसनिधिमा नउरेलामासुरातांसन्ननसुजलहे, निन भन पायापयपाने पुष्टिवघ, विष || Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jaklelibrary.org Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - -- - - - घर Gyahonaanganath.org व्रतधारी निश्चम हुवे, लहऊने शुगरागावैराशीवैराग्यता, पंडित वयनशुंखाशा हानलघर नलवर| से लुवि,सुप्रभुजरसभायतुर विवेडी शमशे, श्यशुंश्यना मजा | टावपहेली एगोउसमथुरारेवाहाला एजेशी। पाउलीपुरमा रेप्यारे,नवनवरस सेतुशएगागासुप्रिया प्रागीरेआजारा ल्यउरेछे श्रीनशन्न पापाउलीपुरमारे प्यारेगमेनांऊपी ए साल मंत्रीरेन्नयो, नागर नातिसुन्नतवजागोराभवमुजी उभा ला अनुसरएी,सुंध्र पाछपटे तस घरपीए पाउना पुत्र लवेरारे पामें, श्रीथूलिलका सिरियोनामे पुत्रीसातेरेभसीयां, नव नंह नितेहुने घटसीयांपागायतुराई गरेउहीयें,थानउ नीतिशास्त्रे मेमषहीयो। - - - Jain Educalona International For Personal and Private Use Only www.jaineltorary.org Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - - - |पडितहरे मस्ता,रानसत्मायें विशेषेल लतापागाच्या शास्त्रपठन देशांतर इरीथे, | रहिये नित्य वेश्याभरीयातोयतुराधरेमा वि,मिथूपिलर तिहाहिलघ्यावेएपानाचा तातनीभागारे भागी, व्यसहितयाल्या वडलागीओश्यारेजीरेथले,शुलशएगा र शरीर मयले पाए | पढासपीलागोकुलनी गोवालिएी, भहीवेयवा यावी देशीवारवधूसोहा भएी, रंगेसारी सऊल स्वरूप निहालतां,सुरसुंधरी हारी शरपूनमनीयंत्र मा,मुजडेजी एरावेएमघरमशण परवालिनी,पएरोपमननावे एशातानिस्या उभउती, सवयपरतापनासामोपमन संलवे,शुङययुउघरता। सालोयनथी भृभपाठ्यो,शशी भंडसमेगासुंधरवेणी . . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jaithlibrary.org Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४ ) वियोगने, रणिधरलुविपेोगापाएी परराने न्नेन,बसपउन वसीयां उसश शरोननें हेजीने,खवयोपिघसीयाराचा लिंउ उटीतटउसरी,गिरिधरनासी एमोएनी मंत्र मिशेधी,घानेही वासी। ततयोयूरोयो, हमोतीनो हार इंटरनी गति यासती,त्रएय रत्नन राण बाजेहलरागाहाथीया,नाजेशिर छार एमषता ते सजवा थर्छ, समने घिःडा रारारा डंयुनो उसजीओरनो,हाथे सोना नोयूरोपमोहनगारी प्रेममा,रस वाघ्यो होण्यापीर तिबउवाली सछ,शोवेश एगाथूसिमरते हेजता, मोहयातेपी वार ॥१० हवे तेहरिएपक्षी, माविग्यो घर रीनेहपपीन पयोधरणाशमां, लषो पऽयो। तेहपए नित्य नवसी कीग उरे, नित्यन|| Jain Educ blona International For Personal and Private Use Only www.jainelllary.org Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५ ) दवा लोगासरससुलोनन अमृतसमां नारोगेसुरमोगा।१२ ॥पंपविषयसुजा सीलमां,मार वरस निगमीयांसाढीमा रघनजेडीशु,शुलरंगेंरभीया | पढासत्रीलाहोब्सोधना नया रोशीअलगयो नवीन्नएीयोरे वेश्या विबुध्यो तेहपछेषनछोडीयारेएवरशपि बालपाने संन्नेगे,सउडास मंत्री नेहापाछे सन जीयारे एभेनांडपीएनएनरेसर पीयोरे,मंत्रीभरणबहेतामाछेनारायसिन रीयो तेजवीयोरे, हिये मंत्रीपहअमापछे पशाभुमघववेश्या धरेरे, रंगेरभेमेन पित्ताछेगा मांसलजेनलमाछतीरे,ता ससरीसीप्रीत पछेगाउमंत्रीपएंधीयोने हनेरे,तेजवी माहारायाछेगानंहउहे सिर याप्रतेरे,माणे तुंरोगयाछेगा । - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jain library.org Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६ ) सीज सही नरनारायनीरे, पोहोतो सरीयो त्यांहे।छेगा बंधवने प्रणामी उहेरे, तेडेनरिह पीच्छाहें। छेणापासांलली डोश्याने उहेरे, बर्ध खावुं जेड वारा छेना हवे वसतुं वेश्या उहेरे, सुराशुल वीरकुमार ॥ छेषणाहु ढाल योथी । तमें वसुदेव हेवडीनानयाल, लाल साडडडा । खेदेशी ताजेश्या वेश्या उहे रागील, मनोहर मन गमता ॥ तिहां नश्यो पीडी सोलागील, मनोहर मन गमता । नहीं न्नवायुं निरघारन्ता मनोणा खापो श्यो नृप हरबारकाभना शारती यतुरा यित्त यासो लाभणालजो मुझने हेन्ने गासो लाभणामेवडीशी उरखी जासो कामना खेहपुरषने पाछो वासों कामनाशा प्रीतम प्यारा तुम टा www.jaine brary.org Jain Educationa International For Personal and Private Use Only - Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - खी लामगा नहीं ओनी हुंमोशीमा सीछामगासावशे ब्ने अवनी शिला। भगातेहुने पण अत्तरष्टश छामगारा भरता ब्ने तुमे हिंडोलामातोभुझने साथेंतेडोलाभगानविछोडंतुमयो डेडो लाभगापूरवप्रीने रसरेडोछामनाना वनपरतां अभरश्वीडंल मनाया तां खाशुंभीर्युलाभाईजरा तिहार मांडेलाएभगापराने उरथी नवि. छाडे लाभना चातिभतुमसभहीशेपर योलमालाछपवीनो ब्नयोलाम० एतुमे भोहुनीभत्रने साध्यो लामगातुम शुभुन प्रेमतेवाध्योछामगाहारसीयाधु। हुरंगरातीलाामगापीयु विरहें शटे छातीला रामगामाणली पालवासीलाभगाई तुमने मनरवातीष्ठामगाणाथूविला - - । । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ a - nte - - - हेहमेबोळामगानृपलेटीनावीशवे|| हेयोछामगातारांसमन्ने जिहांरायुंछा। भगाशुलवीरवयनछे सायुष्ठाभाटप ___पठास पांयभी गोकुखनी गोपीरेयासीव्हललरवाशी उरजेय उरीनेरे, याख्या गुणलरीया घरी विनय विवेरे, नृपने भलीया सपा लूपालना भुजथीरे, वात सध्द निसुएीए संसार स्वरूपा नेरे, यिते शिर धुएी ॥२॥ भेवात न नएीरे, वेश्याघर रमतां मातमशुराए पीरे,लुषालवलमतांप आउहेशवनी | स्वाभीरे,शी यिंताजी एसउडालने पाटेरी मंत्री पणुं सीएचसथूसिलरउहेतवरे, मालोचीमा एमालोये मागबरे, सुजसंपट पाएपाप्रपामउरीनेरेमशो ||जवने नावे सभतत्त्व विधारीरे,लोग ऊन - - Jain Edulltiona International For Personal and Private Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - ( ८ ) यो लापहरलांजवनोरे, तिहांमोघो घोबराबसलायेंरे, धर्मलालबीघोपामालोय्युशब्नरे,भस्तङ में छहां समाहा व्रत पीय्यरवारे, नशुं| शनिहां एतामेश्या घरसुध्धेरे,नृपन्ने वाघ्योगाशमोगंधभुनिसररे,हेजी हि बतूष्योगलाथूखिलरमुनिवररे, पंथसी | रियषीया संमूति विजय रे,भारणमा मलीयाराणाप्रएभी बोलेरे,सुळही. साहीबेंगवटेसूरि सगानीरे, तोमनुमति खीपासिरीयाडेरीरे, तिहांजापामा गीमायारन पासेरे,दीये व्रतवैरागी। पशासूरिसाथ विहारीरे, श्रुत नियमल्या सीपमातमसुविलासीरे,रहे शुश्सवासी [ संबभशुरभतारे, निशहिन मुनिरा या पनहिं मोहने भभतारे, सभाराया - - - - Jain Edulltiona International For Personal and Private Use Only www.jairlibrary.org Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १० ) १मा रिछाहिर दृशविघरे, वसीसामा न्यारी । यौमासा डीपर रे, गुश्जलिग्रहधा॥१॥पांतर नवेरे, जे हरिउंहरीयों अहिजिस धूमिल होरे, वेश्याभंहिरीयें। १९॥गुश्माएा विहारी रे, पातज्डां घोवे॥ शुलवीर विवेडीरे, वेश्या वाट मेवे ॥१॥ ढाल छठ्ठी ॥ साहेलीरे, यिनीने प्यासारे, तारा नसें लक्ष्यां ।। खेहेशी ॥ हो सन नीरे, प्रीतमन्छ प्यारोरे, हलय न जावीयो होसननीरे॥ यातुररे नर जजर न अर्ध सावियो । होगा यात्यारे मुळ उरी, अवधि घडीयारनी होगा सुजीयो ते शुं ब्लऐवेघ्न नारनी ॥ १॥ होगा खेड विरह दुःज जी लुं घननस गडगडे । होगा हु: जीयानाशि र डीपर दुःख जावी पडेगा होना पावसभा सें नस वरसे घनघोरीयो पाहोना माहरेरे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११ ) तपोवनभोरीयोएशाहो पायाख्या रगाहोगामु पहोगा मंगविनानो पनर थानने हा होगाअंगुठे घुटीरे जंघा यरहे होगा ननूने साथवरे लगनाली होगाजघने छाती रेशरोन्न घशाहो एउपायागाहोगा सुगा होगागवस्थलसोचनरे निवाडे शिरोए होगाविषधरर्नु विष व्याप्यु मणिमंत्रेहरेगहोगा विषयाशी उसे भुलाया गती पहोगालाछसहेन्नया विए नहींगेछन्नंशुवी पाहोगाथापा होगासुगाहोना पीने वेसारे पीपीमावीभोहोलाशेगटीयो शराणार तोभुन बनें इसे पहोगाबप्पेयाने वाररे उिभपी जीपीण उरेगहोगापाजोरे, छेदीने पर राघरे एप होगायागाहोणसुगाहोल रापीयुमाहरोहुपीपीनी पीयुपीयुहुंउशा Jain Edubliona International For Personal and Private Use Only www.jainshrary.org Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - ( १२ । होगावेश्याने वयसा माणेसुंध्या होना एनपैयो पीयुपीयुउरतो तुमने वाहन एथोडे थोडेजडेजा घघुसवे पाहोल पयागाहोगासुगाहोगामाषा बलवरसे गाने वीनसीहोगावाहलेसरविएशीसो पारी जहमी होगा असंतरशुलवीरमुनि वर मावियागहोगामेश्यायें भुनाइसणं रेवघाविया पाहोगायागाहोरासु-हो | एटापसातमीसनेही वीर ब्व्य मरीरे देशी एवेश्या वधाव्या स्वामी रिजली भागद साशिर नामीरे, उहे सां लखो मंतरन्नमी पावावालनी वाटी ममें नेतारेण प्रेमाउथी । विरहानघघी हेहरे, धएण वरस रही हुंगेहरे,पन ए नान्यो नगीनो नेह पवागाशामभीस ||मरे निशिघोगरे, नम हवघर पेभोन - - - - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jain Library.org Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ( १३ ) शरे, जलयातुध्यध्यमेशावागागाने छ भासतो जेमतेमअढ्योरे,भने भयए तेव्याप्यो गाढोरे,वपीमायो तेभासभा पाठोएवागाापवे हिन पीण सालरता रि,निशि भोरतेटहुडाउतारे,माठपहोरग याज परतापवागापानी पीलीने नीहालीरे,हुंभाषपणानीभाषीरे,मे हलीमुझनेसुंयपी पवागाडात्रीले टिन लमेऊनश्युरे, यित्रशालीयें तुमपराग्यु रि, नेता भनाउँतिहां पाग्युगवाणाणायोन थेमवधि घडीयाररे, उरी याख्या यतुर तल नाररे, घेथचार वरसनी वार एवा पटा पायमे पयामृत जाधोरे, पंयमाए. तयोरसवाघ्योरे, न्योछावनाहीन साघोपवागावाछले छटीने मेहेतीरे, लुग्नोयारे नाथ सहेलीरे,हुंधरतीमा . . - - Jain Eduditiona International For Personal and Private Use Only www.jainabrary.org Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । ( १४ ) मेसी पवागा पासात्मे टिन शय्यादा खीरे,धीपघूप सुमने टासीरे,डीपुंशयनते पासुंबासी पवागापामाइमेजोठी परलए तेरे, संलास्यो पीण वरसातेरे, निशिनाथ नयो घणुराते एवानाशा नवमे निघटिस नसाईरे, निरंशपतंगरयाईरे, सीनान गर नतिसगाछीवाना शमे हेवल बहुभान्यारे,सुनावलीयें ब्लेवाएारे,म मेघा घणा मेंछाना एवागागाभण्यारशे मंशनमावीरे, नेछवाट वातायने जा वीरे, मनेाम नटुवे नयावी वाणघाण लारस हिन मारणेघाडीरे, घेरावीय ही उर नाजीर, सुपनातर पीजीडेगाना डी वागापा माळ तेरसनोटिन मीठो रे,प्रापळवन नयरों धगेरे,मान अमृत तस्स. घन वूठोएवा गापायौटशनि - - Jain Edultiona International For Personal and Private Use Only www.jair library.org Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - ( १५. ) पितारखशेरे,हीयउंघ[हेजें हुसरोरे,भाहरो प्रेमतेतमशुंभलशेरावागापटाशपगार सल संपरशुरे, हुर्डनीयांथी नविडर रि, पूनमहिन पूराउरशुरावागाला ते । रस पेहेदानो गावोरे, तिथिअर्थ उरी घे. र मावोरे, शुलवीर वयनशुं मलावोवार | पढालमा भीरा सालबरेतुंसवनी भो री,रजनी डिहांरभीमाव्याछरेदेशी रान पधारो मेरे मंघिर, शय्या पावनीछिरेप घसी तुभारी मरहउरेछे, नरलव साहो बीछे एरस लर रमीयलरेपार पूरव नेह निहावि रसलर रमीलाग्ने मांऊपी एशान उतांसाहमुंब्नेशं, तुम जाएा शिर घरशुलरेमेऽविस तुमन ने जगभतुं, अरब ओठन उरशुंपशा सत्मररमीये छापूराथूषिलर - - - - Jain Edultiona International For Personal and Private Use Only www.jain fbrary.org Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - (१६) उहेश्याने, तथ्यपथ्यमित वापीछरो पाएी विना शीपासउरेछे, लोगन विधान टीनएी पूगारगाणठहाथ तुंमद गीरहिने, सियाहेतेउरहे छानारन उनवनवरंगे उन्हे,वसी शणगारने घरने परगाहापूनाराषट्रस लोहन तुमघर वोहरी, सनम अर्थ माशुलपमेम परहीने रह्या योभासु, ओश्याउरे हवे हांसुरु राय पूगारगाविए पूण्यासंनभ माय रीमो, पण तेव्रत नदि परिणछरे।तो मभघर माव्याछो पाछा, तुमव्रत ममने रवीणरगाहपूरा भार वरस प्रेमें विन सस्या पए, वो अंतर न घज्योछरोप ब्नेगारलतल मुन साथे, रंगहतो ते राजोराछा पूगारुणानिर्याली निर्मोही पणा शु, सुराजेश्या मरहीशंछरोग योग - - - Jain Edultationa International For Personal and Private Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - । - - ( १७ ) वशेशुलवीर.निनेश्वर,माएा मस्तक वन हीशं पर एटापू पर । पढासनवमी एतेनारी विना सुष्पा जोयुरे,सुंधर शामलीया एनेशीए में नेतुमारोब्नएयोरेपपीतमपातलीया शीरवीतापातागोराप्रीतमपातदीया, ते ब्नेगतपुंश्व राप्रीगानेन्नेगीग खसेवेशपत्रीएपपवेश्या मंष्टिरतल लोग शिाप्रीगापूरचेउऐसाध्योन्नेगरेपपीनामा चित्रशाखी मनमानीप्रीगापेयजाएात एी राजधानी रेपपीनाशालेतार बागशे तभने शापीनान्नेगमेसिभसावशोखमने शिप्रीनापडिवाईही लोउगाशेशात्री पतारेनेगतगायोनशेरेपप्रीगाउातेमा टिवयन मुजभानोरेगीगाहुभएां ब्लेश छोणंनोरेगनीगारमोरंगलातलमांत - - - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jaintbrary.org Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८ ) टीगीगा भने मोटी प्रेमनीघाटीगामी पाठयायोभासुंने यित्रशालीराापीगातुम लाग्यमपीसैटअपीराराप्रीनारसप्रेमहीन से हियोगाप्रीला तइएी तनसेखडीसी योरेगीगापराघरी प्रेम पीतांजर पेहरो राराप्रीनारसीपडयोलोघेहरोरोगप्रीप मुझजाग्रहीने सीव्हेरेप्रीगाउरीप्रेभने अंतरजीमेशातीगाहाप्रेमपूरणश्योहित गांडोरेप्रीगन्ने सेनेशेषडीसाठोरा प्रीगारमनीगछसुनीसन्याशापागासवडी, ज्यांशीज्यालगन्तप्रीयाणालिमाने यट्याछो नसीयारेण्प्रीनारामारसकुरान वियसीयाशाप्रीगाऊिबेसोउपासारा भीगासमसामयामोशीमावासाप्रीत्तदा परहीमोसावे.उरन्नेडीशाप्रीनाहीजेश्याम हभयोडीशाप्रीनाशुलवीर क्यनमुनिजोले - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jain library.org Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - (१८) रिपीगाऋषिरामा परंतरतोखेगाप्रीगाला पढाष दृशभीमादेवरियारमोरमपीर सभेतीनेएमेडेशीपरमपीशुंरंगरसेरमता, साघुर्नुसब्बभन्नयारंगीलीपरमो भारगो| मेलीनेएप्रेमापरहरवी भुनिवरने,मेमते उहे बिनरायारंगीलीपरभोभारगानि मगुएनयेउस्तूरीनो, ब्नेशिने हिंगनोवान सारंगा उपूरतगोशुएनिमलोघरीयें नेशणने पासारंगाशारभोग्यवरपंडित भूर्जनेसंगे, वायसोपामाइंसापरंगापापि टिमनायारी संगे, धर्मिष्ट पपुंकुखवंशपरंगा एरणामपछवायें रसोऽतयो,बजुसंग निमराजरंगागलीपासेंब्लस्वर्ण घटें,योरी संगुएलामाारंगाहातिममा निनीसंगेमुनिवरा,यूपिलरउहे सुगुनार परगाक्षणमात्रमहीपाशुंभारे, होयेति - । I Jain Eduationa International For Personal and Private Use Only www.jailibrary.org Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २० ) दुम लंडाशारंगाचारिणातुव्यासताथ विरहिणी, मेंवशडीघोछे अमरिंगाशुल वीरवयननी यातुरी, ओश्यावेश्या उहे ताम परंगा धारमोना ढांस खग्याश्मी ॥ रानडुसें रही श ळ्या पातलीयालाखेहेशी ।। न्नेर्घ नेर्धरे। नेणतुणी घ्शा ।। खसबेलाक ॥ तमो नारी नी निंद्ये वस्या ।। ञसमेलाला भनगभतां लूषण सावता ॥ञणासुंर शएगार घ रावता॥जणाशाङरासिने जेसारता खगाउश्वा वस्सल वारता॥जगावर ज्व सउरी घृत लेलीया॥ञणामें तुमभुजमांहे भेसिया । जगाशा बसी तुभये हाथे हुन भी।जणा तुम ठीत्संगें रंगें रमी ॥खनाह वे बीपराठां तुमें डेमथया॥जगाते हिवस तुमारा जिहां गया। जनाआहोषा र हयि For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jaine brary.org Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । २१ ) तामिउहीरामनामहिंप्रीतनीवातनवि सहोमगाशेयजनसुरतमेरीतडीएम पोयनयन न्योती समप्रीनडीएमगाराए मालव विपसे संबमवरी एमगाशुगगन एविघटेगवें उरीपनगारिशासु पहराएमगाजतपविरासे क्रोघर घरे । एगापारनप.विनासे हेहने एमगर तिम विरह नसाडे स्नेहनाममा नराधन यडी डीरतिरहेगाणि विनय ऊरंतागु ए.लहानगाहाशशि दर्शन सायरसधे एमगाद्यम ठरतां लक्ष्मी वाणगास सन्न रहे मायारथीएमगानररागवधू शणगारथी एमगाणाहुवे धान्य यथावृ. ष्टिथडीएमगातिम प्रेमवघे दृष्टि यजीएम एमापीनवयन नारीवा नगानविले मितुभये हहे एमगाटा निशियारपो . - - Jain Edi cationa International For Personal and Private Use Only www.jabelibrary.org - - Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ( २२ । होर वारी बामगापएलोउउहे टीवोन विरानगाशुलवीरधीर मुनि तो पडेमन ने पावर्धने पानो यडेएमगाया पढाए जारभी एमनेापी बशोधन नेछयेरेरामेशीएथूसिलहेसुए जालारे, तुंश्याने उरेछेयासारे विनिताशंन्नस विलासरे.तेनर जीयानाधासा शिपान्नेषनीयानोले स्टोरे, तेतोया रहीवसनोयटओपछे अयनो शींसोल टड्योरे,हीडामनभावेउटडोरेशन गटीयानोजसंगररे,नाटडीयानाशएगा। रोए धनवंत हो नि भ्यरे, बेड्यो संध्या येरागरे।ट्रंपस पीपसनुपानरे,उपटी || नरनुं निभध्यानरेगलूपासतपुंघर्पुमान रे,यसउंबरउरोशनरोगनायपवानारी नांनथणारे, हुर्खननां भीडांवयवांगाधना Jain Edulltiona International For Personal and Private Use Only www.jainbrary.org Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 23 ) डी यार तणी यांहरणीरे, पछी घोर अंधारीरयणीरे ॥ ॥संसार स्वरूपने हेजीरे, में मेसी तुलने डीवेजीरे॥ओर्घ वायुने तान्लुवे तोसेरे, पवने उनायल डोसेरे ॥धारविया यारने यूडेरे, जसधि भर्याा भूडेरे ॥जलोङ माहे होय लवरे, पण हुतुल हाथ नखावु रेणा पूरखें रभीया रंग रोसेरे, खान्न तु पग भोलडी तोसेरे । पहेलां तो अंहीं नहीं हूं रे, हुवे संतम साभ्युं छे मीहुरे शाला मायजा पने में परि हुरियारे, भात तात नवा भेंडरी यांरे । तल जांधव डेरी सगार्धरे, में डीघा नवा घ्श लारेला होय नाभे छे यित्रशासीरे, परएणी धरणी सटासीरे ॥ विष तेल हीपऊ जन्तु खातेरे, पारशय्या ते नित्य ढाले रे ॥१णा नित्य खमृत लोनन नभीयें रे, रसरंग भरे घेर श्मीयेंरे । शुमि धूप Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainerbrary.org Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २४ ) घरी प्रगटावेरे, तिहां ताहजनशवेरे पथा नवोटवयें मेगामरे, नित्यरहिये छैयें तिगडामरेपस्वामीजसीया शिर तान्न रि, शुलवीर प्रलुन्छ रानरे ॥ १२॥ ति । ___ पटाख तेश्भीमावोहरि वासरीया वाला एघशी रामेश्याउहेसुएन्ने सुभने, माशें नीराश उश्यां नभने, प्रीतमल नघटे तुभने पारसीदासाथें जरभशु,डीसीपन लातें सघनशु, नित्य नमाडी पछे तमशु परसीमा नांडपी एमेहसगाई नवी उरवी, पीनघटे भतीने घरवी,पूखनारी परिहरवी परसाशाजार वरस सुनसान लरतां, सालेहछडाभां असतां, खाजेशांसु डांजरतां परगाभास भाषाजनेऊ खे, वधधी तर वेसीवसे,वस्सल विरहें। हमसेपरगागा श्रावएीयो सीये धरती, Jain Editationa International For Personal and Private Use Only www.jalnelibrary.org Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - ( २५ ) भोरपडीटहुमाउरती,पापीअभवशे सरती परगापालारवे लरबलवरसे, पिजीयुगल भाले रशे, विरही नारी डिशुं| उरशेपहारगानाशोभासें धीवापी,सान उर सेवनें सुंभावी,शंजीथासी पीयुनावी पारगाएघसीताससीलोबनभां,अर्तिउसीतयां वनमां, टेनीसासेघणुंमनमा एटारगामार्गशिरें मनमथ नगे, मोहनामा ए घणां वागे, नमोहन मस्तालागेन परगापोषते शोषउरे धान, शुज्रेसोपारीपान,वस्सल विएनवलेवान एगणारगा माहामासेंबढ्यो पडशे, शीतल वायुवपु यडशे,नाम मनंगघणुंनऽशेपारुप शशुऐजउजाती होसी पहेरीयरणाने योसी, उसरघोसी भसीटोसी ।पशारण खोऊ वसंत भघुरमशेयषजवनें लमन Jain Editationa International For Personal and Private Use Only www.janglibrary.org Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - (२६) शे,तेटिन भुकसाथेगमशेगारगान वेशाप्सरोवर नथु,उतजीयनवनस हीशु,हेपीयरशीतलथ\षटारगर पंथी पशुप्रेमभेला, नएीये मध्य निशीवेसा, बेहपोरें लसीवेला पाप मोहन भाएलोभेहरअरी, धिताहेपी हुन पिलरी,मारे भास विसास घरी एपहार एनाटउरंगरसें उरभु, धवलही हिपहुंहरशं,उहे शुत्नवीर नवियपशुंपारण दापयशभी एमावोगावोरेट शोधनाअन गोठडी उरीयामेदेशी मुनिशब उहे सुगोवेश, हावन लाव्यारोप देवातुभने जीपदेश, नमोऽहां साव्यारे पागयोमेटलो अस विशेष,उसनविकरी योरे साहेलीयानो अपडेश,समनुन सरीयोरेशानिन धर्मवशे शिवनारिनो - Jain Edultiona International For Personal and Private Use Only www.jaind brary.org Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २७ ) समयानासंसार मसार,गयोव्रत पांजेरेएसंसार मांऊसार, वस्सल नारीरेणंडे तेहुने घिःसर,गया लवहारीरेण्या ध्याननी ताली लगाणी नीशान यठायारे पशीषसाथें डीघी सगाई तष्ठलवभाधारणपापवास्ता मेष्टिवस रीसाएी, हुती तुम साथेरेपछिमनोधावी | यीरताएी, तपोय हाय रे हासुरापाने लवसोऊ,शुशुंनउरतांरेपउिंपाऊ। खाशी खोऊ,पछे जघरतारणाम ने विरह तीक्षएन्नय,वरससभाएीरा पघपी भोहतएीस्टबाय, वसोश्योपा. एरेपटाताहरे भोहननगरसोलें, न्नेशन छूटेंरेगभन्नरी तपनी तोते शीउँनत्रूटेरे पस्नानागरनी नियनन त, जोसे मीठंशाअल्लभांउपटनीघात, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainell rary.org Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - । - ( २८ । में प्रत्यक्षीईंगाणाशुंडहीये ननाए। सोउने,षए साग्रही साघुना तश्शे ड, उयुं वीतराशेगावीतरागशुंनए राग,रंगनीवातेरैमावोहेमाद्दुराशनोखा गपूनमनी रातेंरेशाशएगार तल मएगार, ममें निलीरोए मवाष्पीश्शु विहार,भेषी तनेडीली।।3।वालाजा र वरस बगैठेठ, पाउपडावीरेएमिन प्रो घरपी हेड, भेश्य यढावीरेषा उतालीने दृष्टांत, नर लव लाघोरे थर्ण पय भाव्रतवंत, मेश्परेंवाघोरेगा । नूयो नाटडब्लेमेऽवार, नया विशीरे|| एपछे संनभन्ने सार, विचार विभाशी रिपपाशुलवीर सहेली बहुतर, नाटङ नयगांरे एडजेउव्ह गाथा जंतर जे. सुनां वयपांरे ॥ १७॥ | - -- - Jain Editiona International For Personal and Private Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - ( २५ ) पागल पन्नरभीपराबावें लावपीराशीभबनपीरतिसगरमाद्यतयतुर शएागार सशर घरी एभनोहरशि रवर यीवर यंली, असलीडी सोमउरी पापिहुं शिलाटी सडी नसीसीप माली ब्योति वरी एघुर परिणाम सभा रामा,रामारंगेंगेखमरी शानव नवरंगे छहछपैया, सोयरीया रसगुण लरीया एमभपा लूतसभडे, उमड़ेस मलम जाजरीयां उपदृट्यानहन के तीयहनासखभूभसाभरापस उजसङ उर उंडाजल,असञसूत्र टोजसकेगानाबारभर रमरमेहलो वरसे, बबसें लरी लरी वालीयोगधनन घनन घनघोर नघोरंगाने राबे वीबसीन योएपाहुहुहुहु अविवेगनेश,लेज) - - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainedbrary.org Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (30) सोरसन्नेर घने हुहुहरसीलानीसा,ओजीसासहजरवनेहराबहुत पीपा सी मेघनखाशी, सीवनवासीवेसीयांपए प्रेमतपरिसरेसायाख्या,परा)लिलसनवि पडीयांगणाहुटहुड गिरिउमछेन,ज्य ताउी भारहेछ।वैरीनी परेंगेवरसालो, विरहीने घ{सारे छाना घपभपभाव डिघोंगरा,उंसतापवीणा समरीयताये। तितथे तान नयूछे, भूरे नेत सहेत परीटाररसतक्षणतर उंतप्त लूतल्या यसयतउरखेतीशीतरीत भमोहन विनोहें, उस घडी हेतीपणासस उससा ढसउंती जया,मय ढसाया भेण यापळवनपरीनेहीपाया,जयनवहन उरती मायापापीतमप्रेमीबात लिया रो,लमन लभन रोतो लमरोएघाउतना Jain Educatona International For Personal and Private Use Only www.jainel rary.org Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । ( १ ) जलस्में सोरत,पंडित पूछत गर्छ उरोप पशालभर उहे मोयएघहेरेऊ, विरहे | ती नारीतगतसरक्षायें विरहेसमशुय मथु, नहिं भनेभए पसाउहे ज्वीता शाभसतासमननु, पीसी पुठठिशुंजीपीए प्रेमीयोट वशीभोयजसी, तासगीपर || हसही धीधी पाना उरियित्तमने पर न्या ट, मटके नविझटके रागे एप्रीतीरीतिमा नोपभ नाट, उरना प्रेम धन भारायण उहे मुनिहेली सुलो मरजेती, नाटनवि उरतां मावे॥श्रीशुलवीर वलर पसायें। लवनाटसुगन्ने लावें. पप | गमशोबभी। ऐशी भोरसीनी छे। एभेघरागीर लेवउरीमोरे,ध्यनी वेदा भालवडोशीमरापहोरसमें मध्यान नेहीडोलाहीपरेरापाछपे पहोरे श्री । - Jain Educhlona International For Personal and Private Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (3२ ) पद्देशीयाना में नही९मेतोसेशि जरा संसारे वसीमोराताएगीयो एव्यः वहारे रसीयो न्नतेवाएीयोगवशडानो वासीखाशीपाएीयोएसविनाशी नीशशि घनन्नपीयोगानेनापीय नयाभावेश जनावरेपभिथ्यात्वें पूरिरात्यसंघारियो सूक्ष्म बाहर पन्न अपन्न निगोहरे,नाटभालूस्योभोहेंभा रियो नागनी नहीडीभेडे मारीयोपशप ||संगाव्यगावगाजणाविशस्यि पंपिंथी थयो अनुउभे रे, रूपचनी होलागी वली सोलागीयो एमास उपविराम उपलूपासोरे,नविवेठी पंडित रसनो राशीयो परभएीने रंगेओ हिनसिडि लागीयो। एसंगाव्यगावकामगा ननरंजनाप शेरनेलरीयोरे,लोगीने नेणीवेशन - Jain Editiona International For Personal and Private Use Only www.jaing forary.org Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - ( 33 ) नावीयो नागरनेयजलयढ्योवरघोड़े। रि,घेडेरे आगेघसउहावीयोसिद्धिनो वेशमानविसावीमोपचासंगाव्यगावप्प भगाभारने नययांनारी तिम भातोरे, लातनेंतात हुनासंतानमांगलूभऽसहान कुरियोथईने मेरे,सुगन्नेरेसानेजेश्याअनभांजेलोरोयो ओई निरन नमांपासंगाव्यगावगाणगायीपू वघर पोहतानेसरसोरे,पूरव श्रुत शथडी सलारता एयरए घर घरवानीता। सनशक्तिरे, विषयाइसयित्तेसुजने से वतारामनुगामी अवधिनाए। वताह एसंपन्यगावणामगा सिंगनंतां धरियांसमन उरीयारे,होसीनो शन्नशुगवि एसंबभीएनवविधळवनी हिंसानिध्य जीधीरे, वासुदेवयीयरलवमी - - - - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jain brary.org Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - - - - ( ४ ) नारीमा पोहताशुणिजननें भी एक संबाव्यगावगाणगा ब्नतिसमरपनाएं नारसी नगरे, पूरव लव रिसुजनीवार तापशविध वेन छेदन लेख्न पामीरे,मा थुनेपाली तीर्थयेहता भाताने पुत्र विवेश नधारता पटासंगाव्यगावगामगाश्री शुलवीर गुनांवयए.रसालारे,साललत वेश्या पित्तोपशाभीयुपत्रपउराशुगं ही.लेह उतीरे, मिथ्यात मनाहिडेवामी, युपश्याथें सूधैं समति पाभीयुगलास व्यगाकामा । पाढाल सत्तरभीषणसखूणां नाथमो, रेघेरभावोने एमे देशी मिथ्यानवामीनेगे श्या समङित पामीरे,हर्षथयो अतिरेउ। वाधार पारसप्लोह विवेशवाहावयन उऐसाछेडावागामाश्रवते संवरथयोरे, + - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jaindibrary.org Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - ( 3५ ) माहरे सुपोमुनिरायणवागासाछपढे घन्यभायावाना धन्य धन्य तुम शुश्राय एवाए पन्य घन्य चित्रशाली रसा सन भारोरे,सभउिन भूसतबाररावा ससाघुल पासें सारवाना पीयरियाघ री प्यार वागाउरेसामाथि नित्यप्रत्ये रे, योभासुंवही नया पवागा साधु विहार उरायावागाजेश्याने पथायावागा शानुवे गुश्ल वाटन हवे नथुरे, पूतन्ने बिन नयार पवागा पालेनेवन तवार एवागारान्ने सतीयाशावागा मशीणामाहेछ जीरे,यावतां नए गारवानाओश्या प्रांसुंधारणवागाधन मसनेहुनो प्यारावागागाउरहुउर मरहेगुरुरायारे, सिंहगुशमुनिलेश रावागारसरणभावागायल्या Jain Educatina International For Personal and Private Use Only www.jainelllary.org Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - । गुश्वय छावागाभागारी विसोन उतारे,यलीया अमने दृशपवागाजेश्या नेपदेशपवाना थिरीघो मुनिवेशावान एनारधारउ प्रतिमोघलयोश्याथीरे, पियभाहाव्रत धारावागापाभ्योसुर म वतारवानाओश्याने पगाररावागाओ श्या धर्मउरीने गछर,शुलगति अवतारा वानामपत्यो संसार एवानापन्य घन्यसेनगनाररावागापासाठवरसमा माह पूश्व मुनि लगीयारे, मनित्यनि समल्यासरावानालसाहु शुश्पास एवागारहेतांशुश्सवासावागामर्थय डीयटी पूरव लएयारे,उर्छउहे शसार एवापासूत्रे अंतिम यारावाला श्रुतळेवसी निरधारावागारात्रीश वस घरवासावि खासे वसीयारे,वरसवतेग्रोवीशावा T Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jaindlbrary.org Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ र 3७ ) युगपहें पीस्तादीशावानानायुनवाएं। वरीस.पवागाश्रीशुलवीर प्रत्लुथीरे,वरसपन्नरशतोयपवागासुरमोसुर होय एवागा मुनिसभनहीं ओयावागाणा पढासमटारभी प्यारा सरह पूनमनीरात, रंगलरेरभी लेखारे देशी एगायोगोतमगोत्रमुणिंह, रस वैराग्य गोमायोशामुनिवर तारउमाशेय,थुएीयो लास न्नयोरेपायोराशीभी योवीशी मेऊ, मुनि थूलिलरसभाथाशे रितास परंतर बनीटेड, गुणिनन बिनभुषथी गाशेरेशातपाछमां उसरी यो सिंह,सिंहमूरिसुतुबपरीयारे सत्यविनय संवेग निरीह, उपूरसमुन्वय गुण लरियारेएप्रिभाविनय वसीपः त,सुनसविनयवासीरे पंडितश्री - - - Jain Educona International For Personal and Private Use Only www.jain brary.org Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - - - ( 36 ) शुलविन्यमहंत, नगजिनमत थिरता। वासीरेएचा तासविनयेमे भरागार,शा स्त्रतपीसाणे ध्यायोरेशसहसपटारसी संगनापार,टालमटार अरीगायोरेपपा अठारशे जासशुटिपोष, पारस शुश्वारे ध्याछा राबनगर मुनिवरनिषि,शिय. लवेली प्रेमे गागाधर्म मोछव समें गाशे बेह,नरनारीसुराशेलएशेराहे उवि वीरविनय नित्यतेह,शुयि विभलाऊ भला वरशेरेपणा ति श्रीवैराग्यटीप: भनसीपअद्यनेछ गुणननितोद्भव लाव पोखिरंतः कृतषिः शीयरवेषिः श्री थूलिलदस्य परिपूर्ण ॥ अथश्रीथूसिलसलनोनवरसोप्रा हाासजसंपति यसरपान - Jain Educjona International For Personal and Private Use Only www.jain Ibrary.org Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 36 ) यड़ ब्लस सुरिंघाशासन नायड शिवगति बहुवीर निसंघाशानंबूद्दीपना लरतभा, पाडलीपुर नृपनंघाशउडास भेंतोतसप्रिया, साछल हे सुजउंघाशा नागरिन्याति शिरोमणी, नव तेहने संतानपासात सुतासु तोय तस, वंश वधारएावान ।। भूषि लर लोणी लभर, भुनिवरभां पए। सिंहा वेश्या विसुध्धो ते सही, नगएो रातने हीह माङनऊ रड तेो वावश्या, साडी जारह झेडी । वरश जार वोली गया, पएा छेसन राज्यो छोडी ॥याशडडास मेंहे ते तिएा समे, अविश्वर हुहुथ्यो ङोय ॥ते मारे भर्खु पड्यु ते ब्लणे सहुझेय ।। ।। सिरियो जंधव ति एो समय, पामी नृप जाहेश॥ धूमिल ने तेडवा, खाव्यो मंदिर वेश ॥जा हुडीगतते हनी सालसी, यूबिल र उहे सुएगो नारि॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainbrary.org Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४० ) खाज्ञान्ने खापो तुभे, तो नर्घ खावुं खेड वाशाना पाढाल पहेली ॥ सासू पूछेरे बहूखरवात, भाला डिहां छेरे ॥ खेहेशी ॥ मने भ हारा जापना समन्ने, नवा हुं नहीं हेडींरेगा तुनथडी घडी खेड, जलगी नहीं रहुरे !! मे खांडणी ॥ नंदरायन्ने खवंशे पोतें, वासा महारा तेहुने तीत्तर जमेंहेशुंरे मीठडा महारा के इश्मावशी, तेमाथे यढावीने सेशुंरेशान्नवाणाशामनेगातुभगा पाडलीपुरनी शेरीयें लभतां, वासा महारा रत्नचिंतामणि साधुरे पाला पुरुषमें तुन ने हीठो, तुभशुं ही बड़े जांघ्युरे पालवाणा शासहेबे ताहारी थूङ पड़े बिहां, वागा तिहां हुंसोड़ी रेरे ॥ मालवनल पार्छु वालो, श्रीनंदरायनुं तेरे ॥ ब्लवाणा आ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainllbrary.org Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - (४१ ) प्लांतें उरीने गँयुंजमशु, वागा पए नहीं | भेटुंछेडुंगामेभउरताने पीण तुभेयालो, तोभुनने साथें तेडोरेगनवागाजाओसऊरीने थूपिलरत्यांथी, वागामाव्या मनमा यहरेण लूपने लेटी संयम पेशे, ध्यरतन पायवंटेरे। नवागापा। । हाथूिखिलरहेसुगोलूपति, छिमभास्यो मुनतात. भुबने तेडु मोडल्यु। तेलांजोमवघात पालूपउहेथूसिलरने, वांउ नही मुन्न या एंडित मेहेशांतरी, मुन ली नान्यो सोयाशा उविः | त्त अव्य महारा उद्या, मोसंगघीसार एतव तूमेहुंतेहने, घालापहनार । गाभेता लगी में मोऽल्यो, सेवा लामा पसाय लोगन लतिलपी उरी,पए नहींख्य देवाय एनिश पांय. वो - - Jain Educrfona International For Personal and Private Use Only www.jainerary.org Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - - - ( R) लीगया, उहे पंडितशालामापो मन नने हुवे तुभेले तूझोलूपालपपरा हे तोउहे सभापशु, व्यसहीतमधन खाणा पंडित उहे पूरोलेणं,श्योवयन नमतलांजाप हाना उरतां तेहुने,रीशयटी यूलिलाहवढवाहूमो धन एं, पंडित होये क्षुरराज्यातेणे हे हो। उरी, मावीउही मुबवात नवी नएयु भूती, नेरशेतनधातानानंहराया नणे नहीं, हे शासउरे एनहरायम री उरी, सिरियो पाठ वेशाला पंडित नाशिने गयो, मेहेली महारो देश राज्या ययाव्युब्नध्य, विए मेहतें डिशो नरेश पप तव में सिरियाने उह्यु,खीयो अमा शिरघरमान पछी वत्स ताहेरी, ओछन न सोपेडारण पावली सिरिये भुबने, - - - - - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - - । - - उद्यु,थूलिलरमहारो लात पते अगंहुं छिम हुं, सुपोनराय सवयत एपशा तेभारे तुबने हुं,ल्योगमा शिरहार पहुंगरप्रन्नतो, तुंलीला सहेर लंडारण पातेसांलपीयूलिलरहे, सुपो हो। श्रीनंशयाएमावू भावोयी एवे, पहुंअभ सुषघयाचाराबसलाथी जीने,मा विभरिन्नभण्भाश्शमा मुनिवर भल्या, संन लूति विजयछणेनाभएपय पत्रए प्रक्षि पाहेछन, उरीमालोय वियारराथूसिलरशुश्ने वीनवे,संयमद्यो सुजारापापा शुश् वियारे यित्तभां, एलुमा उर्मी नेहा वली पाएगी प्रतिमोघवा,थूलिलरशुरानो गहाणायोग्य वन्नएी जरी, ३ऊन हे नवें भाव याज्ञा लेण्डुटुमनी,साघो वंछित राजापटप घरे भावी सिरि - - - - - - - Jain Educona International For Personal and Private Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४४ ) या तएगी, सेर्घ अनुभति सार ॥ शु३पासें मावी उरी, सीधुं संयम ला॥१नाइज व्याशब्लउने, नेर्घ सहु विस्मय थाया। यूसिल ने शन्नङहे, खाते शुं उद्देवाय परणा तव यूसिल-ट उहे सुखो, सोडे उही बे वात ।। नंदराय भारी झरी, सिरियो बेशसे पार ।।२१।। ते खवहात सुणी तमे, शेष लराणा राय । भुन पिताने भखं पड्युं, डी घो खेह डीपाय ॥ २२ ॥ रान्न मित्र नओ नो, जोसे हम संसार ॥खासोयीमें खे लसो, सीधो संयम लार ॥ २३ ॥ भि उहीने यूसिल हल, माव्या गुश्ने पास। सिरि याने सहयें भली, डीघो मंत्री मासाश्४॥ हवे अभिनी डोश्या तिहां, ब्लेवे वालिभ वाटया धूमिल सजी खाव्या नहीं, सूनी हिंडोला पार॥श्पा रे सजी बीड बीताव For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainerbrary.org Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - - -- (४५) दी,सणशोदशएगार राघरे विस्पती सुंधरी,अंछोडी निश्वार पर हायार. पी नीमवधि उरी, माव्यो माशाढी भासा अमएगारोउंतष्ठ, सभी नाल्यो.मानमा वासपातेणठीणतावसी, वासिम ब्नेवा रमापराधीपविन्यऽभवीनवे, एवेडोश्यारे विसाप पश्टा | ढालजीन्छाशीपूर्वसी एमाव्यो। माशाढो भास, नाव्यो घूतारोशामुने न्नज्यो विरह लुहंगोवितारोरेण से मांउणी । वियोगता विषमाप्यु भघरे,वा माहारी इपसी हेहडी घधीरे शासनां सुतपाले जीन्ने,नही ओभत्रनो वाधरे एनाव्योगापामेहनांहहेरनीगति मनेरी,वागाभाने नहीं भत्रने मुहुरोरेगड़े वातनो यंतनसावे, अपए मापे छुहुरो - -- - Jain Editiona International For Personal and Private Use Only www.jain brary.org Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - (४६) शिनाव्योपशाहरभर हरभर मेहुलोकन रिसे, वाराणसहप जपावारेशा मापजिपी पीज पोगरे, तिमतिमहिपहुंधबेरोनाल्योगावेरीनी परेनेवरसायो भुने,नावीने पागो भाडोरेपतनभन तलपे भलवा माटे, मेछमने पीजडो हेमागेरेना व्योपागाणे अवसरें श्रीशुश्माहेशे,वार पथसिनरयोभाशुजाच्योरेगाीय रतन उहेश्यारशे, मोतीयडे बघाव्यारेशनाव्योग पोश्याने व्याप्यो विरह मुर्थशोणितारो रिपरा ____ोहाणे अवसर श्रीशुश्तएो, सई मादृशजहार रायोमासु रहेवाली श्रीथूविलर भएगार पार्था समिति शोषता, हसवा घरता पायापजालपणानी |पहभएी, थूषित्म मनावा न्नय पशावा - - - - -- - - Jain Edultiona International For Personal and Private Use Only www.jaingiprary.org Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ( ४७ ) उछोटो हट उरी, हवे थूसिल मुर्णि ओश्या भंटिर दूजा, माव्या मनाएं उ तव एसी शतावसी, धघवघाई ओश एवालम माव्यो विरहगी, मपरीस भन अंधेस एनवीही सासुधरी,पीने भसवा अन्न यातुङनिमयतुरा हु, ते गली उरी खान । परासुपो स्वाभी मुन्न लगी, छटी हीघो छेह प्यार घडी भुनने उही, पीली अवरांडीघ स्नेह एहस तपो भतापगो, बेहचो सध्यावान राडा र तपोवेहो बिशो, तिभनागर भित्रनोमान.। मेहगाहेती भाननी, मघुशंजोदेवेए । मान सश्मघर मांगो, मान सईसहिन श्यएएटा भोतीयथाल व घावीने, अश्या उरे मरघास. पूरव प्रीत संसारीथे, उरीथे सीस विनासा लामोहो। - - - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainprary.org Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ and । - - ( ४८ ) संभावो मोहना,मविहारी तुमवेस. रायभुणी ऋषीने उहे भरिउरो प्रवेशागा घन्य हिवस. घडी माननी, धन्य धन्य मुन अवतार वालम मुनघरे साविया, सवा उइंसंसार एप पूरवतीभाया थडी,थून दिलरब्लवनप्राएपित्नहीपोश्या डहे, पीण तुमे घर मंडाए पशा पढायत्रीछापूर्वसी देशीए महाराम निभाषागे भीगोरे, घहारो भान्टनोरेगा हुं। पाभी पुएय संयोग, भेषो महाराबनोशामे मांजए।प्राणनाथना पगलांथातां,वागा माहामांगएं नायवापासुंरेपहपल्या भांहेन समाने, वस्त मंगर नई वारे पापा उस देवी उपा अधी, वागा। भोतीयो भेह वूगरे । माह भाहारे मांग ए. मामो भोयरे, पुएये पूर्वज तूहगराधन - - - - - Jain Edufationa International For Personal and Private Use Only www.jainibrary.org Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४८ ) पशाभरि हसीने साहाभुसावे,वागा सायुंडे सोहएंगे। मापशुने घरगंगामान वी, सुजनुनहीं अंडाणुंपणातायात घडीनी मवध उरीने, वागायाख्यां यितुडुंयो रीराभनथी भुनने वीसारी मेहेली, ओए भनावे गोरी रेप घगाया मरें मावी || अलाछो, वागाभरि पावन डीने रैपहासी तुमारी मरब्बउरेछे, मुनरो मानी पीळेरे। पशा पाणड हायतुं नसशीरहीने,वा एमनमाने तेमउरळेरे एघपभप माइसने घमारे, डीनी परें रहेरेपनाह भि परीने रह्या योभाशुं वागाणध्यरतन म मारे एनित्यानित्यमाहारी वंधना होन्ने, बे मन दृढ उरी राजेगा घाणा पोशपथूखिलउहे सुरासुंधरी, | वशीघा नयरातुं व्याकुल थर्ण वि - Jain Educlona International For Personal and Private Use Only www.jaine lerary.org Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - ( ५० ) रहएी, डिमलांजे छम वयएएउहे श्या सुए। पीडसा, तुंमुन छवन प्राए प्रीतहलें हवे सीपीयें, वपी वाघे तनवान पशाथूखिल उहे अश्या सुयो, ममें निरसोलीसाधारहीशुयोमासंतुमघरे,पए भनमें निराजाघ 3॥श्याउहे तुभवयए। ऐ,हंजविहारी नामहोपपधारो भोहा ना,लिम पूरण सुष पाणं साथूखिल अश्याने उहे, सागररान हाथ मुबथीभ लगी तुंरहे, मृगवाघणस्यो साथ एघावा घएी नहीं रे वसा, हुंछु अजपा जाप एमेहेर उ भुन परें, पूर्व प्रीन संमाया बहामनपायें समपासांउटयां,रगति नी घतारण सिंहिएी लय मेऊन लवे,ल व लवंतुब लयनारपणा थूषिलर ऋषी तवम उके, सुगमेश्या मुल वात पिया । - + - Jain Edulationa International For Personal and Private Use Only www.jainWibrary.org Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५१ ) महाव्रत में लीया, भ उरीश माहारी बात। ना अश्या उहे हो मंहिरे, खावी रहो योभासाधूमिल तिहां जाव्या वही, मंहिर घरी बीसास ॥खा लाव लम्ति नित्य प्रत्यें उरे, वसी लोन्नन सरस तंजोस ।मधुर वयन भुज थी उहे, पीयु डरो रंगरोस ।१०णा मुहु भयोडी नेउछे, जोश्या भुजथी वाएा । जासपएलानीव स्सही, भुनथी खतीव भताए। ।। ११ ।। विएा पूछे व्रत खादृश्यो वालेसर गुणवंता योगारेल छोडी उरी, रंगें रमो खेअंत ॥१॥ हुंछासी प्रलु तुमतणी, पगरन्न रेल समान ह वे अंतर डिम हाजवो, डाया उई कुरजान।। १३॥ अंतर तिहां ङिम डीलयें, निहां मन भेटयां होय ।। हीपविनय उहे जावीने, संत रनडरो होय ॥१४॥ ढाल पोथी । पूर्वती देशी ।। सभेयो। , Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jal-elibrary.org Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५२ ) गतुमारो ब्न्नएयोरे, मेहेलोने जांयेरे शाभने जटडे असन्न मांहे, प्रेमनो अंटोरे ॥ रखे खांड एसी । योगी होय ते बंगल सेवे, तो रहे योग नुं पाणी रे ॥ रसम घर जावी योग ब्लसवसो, योगनी भुहा में ब्लगी रे ॥ मेहेसोने आशा हम उठे मऊ पाय विछुया उमडे, रमनभ घूघरा बाबेरे ॥ नरना नमारा मांहे, व्रत तमारं लांबेरे ॥ मेगाशा खेड योभासुं जने त्रिशा सी, त्रीन्ने भेहुलो रज रज यूखेरे ॥ खजडीनां डीसाला मांहे, मुनिपए। साभुं ब्लूग्ने रेशा भेगा उ । घपभप माहसने धौंडारे, वाणाथै थे नाट उछहेंरे । भुजडाना भरउखडा मांहे, उहोङोए। न पडे इहेरे ॥ मेनामा जेहवा वयण सुणी ओश्यानावाना धूमिल र उहे सुख जालारोप नानानाहवे हुं नवि पूडुं, हेजी ताहारायासारे ॥भेणाचा अध्यश्तन उहे ते मुनिव For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 3 ) रनां प्रेमें हुं पायारेभनथी देणे तारी भेषी, जार वर्षनीभायारे॥भेगाह ____ोहा॥वथए। सुपी वालिभ तपा,घ रतीओश्यामा हवेहुं पीथुनेवश, व्हेमपामुंबहुसुमपाऋधि घएगी घर भाहिरे, ओणतेहनो रजवासा नागर उंत ऋषी थयो, हुंसघुजजसा जासशासुराहोप्रीतमतल, अवशुपाविण सही नामुन् सरणी नहीं सुधरी, थूषिलाहीये वियाराण समनागपसुरा साहेजा,ससरि मा डेहरिहर ब्रह्माते सवे,अभधीशन हि तेहराना तेभारे तुमने उहुं, भानो पीण छ वात नहींतर पाए त्यमुंहवे, सायी हुंभवघताचा थूसिल-उठे डोश्या सुयो, हुंनवी ड्योगाभेविसारी तुलली,समता संयोगाहातोश्या मन - Jain Edulltiona International For Personal and Private Use Only www.jain Ibrary.org Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ + - - -- ( ५४ ) पितवे, नाटउरी मेजा हाव.लावन माउसु,सळ शोखे सुविवेङराणा सजीव शवीश लेसीउरी, नाट मांडयो सारी पउहे ओश्या त्रीया, सहियरमा शिरशारद | पठाए पायभी।देशी पूर्वी एमांडयो नाटारल, महारंग वरसेरे मेहसुंभांडयो वार, माननी तरसेरेसनेमांडणी गगन मंडलमा जीडो गाडे,वागा महोसमां भांडलवादायित्रशालीभांवीणावाले,भोर सवे शिरिउंबरे महारंगणापापीण पीसे पीण यात जोसे, वागाटहुटहु श्रेषसटहुडेरे ए धुघरडीना घमारामा, ताथै | तान नयूसरे महागाशा बसहसमनेब्लवबलूले, वापतेतो नसभालाने लन परेण पाहानीह खापमभोला नेहवा, हरिया शामुमति दीपेरे एमहागागाप्रेमतो । - - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jaimalibrary.org Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - ( ५५ ) रसयूवा माग्यो,वागारंगना याप्यारेवारे एखपसी पड़वा बेहबुथयुं, वाघ्या मनोरथ वे सारो महागावा पठडी रोमरायीस सीयां, मसिमीयो मेरोएनसमांउमलस हिडेभ जेरो, तिमथूपिलर रह्यो मेरोरेमन हालापाखती सदी छूटडी खेतीन वाग मारी नजरे हेरीरे ध्यरतन उहे धन्य भु-|| निवरने, बेनमूने पाए श्रीमहारंगगा। ___ पहाछविध नाटणीने,थूखिला रनऽग्यो भन्न पविषयविनित विरहिए, अंतुं पछाडे तन्नपनलिभ में मनवशनी यो, पांयेही शुलट्टामेऊ भनाथामिनी,क्रोधडीयो दृहवाशासालसी ताः रामोस,हुंनवीयूछनाररा धीरपणुं में मायुं, योवन अथिर संसारपानवडू, पीतुं मोहनी, साघुने विषवेवराम न्नए। Jain EducIlona International For Personal and Private Use Only www.jainalibrary.org Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । + - - + ( ५६ ) भि परिहरी, हवे संयभथी मन मेला पचानन टिषेए सरिमा बती भाषाटाधिबेहरामो हमहात्मट वशउरी, भुति गया ऋषी तेहप पासपीडूपी अयनी, पीपस पानसमान। साथिर पाठवितता,नेहवो संध्यावान हामी या अभिनी, माया मोहनी नपा वसीवपीशुहुँनायग, विपय थी भनवान साणातेमाटेश्या तभे,भरोनासपंपास पीपउहे थूखिलसऋषी,वथए। उहेततजासः एढाप छठी पूर्वी देशी एतुंशाने रे छे यासारे, हुं नवियूउंरेण भुने वाती पागे छे मातारे,ध्यानन भूरेगामेमांडपी। शीलसा) में जीधी सगाछी में तो मेली मील मायारा नसिमभथराने डेरऊरीने,छता नीशान वनयारेपहुंगाावनु उछोरो में वाष्यो सूधो, ताहारो ऐडयो नहीं छूटेरे। - - - - - to - . - - Jain Educal na International For Personal and Private Use Only www.jainelilery.org Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५७ । ने भन्नरी घघुमडपाये, तो साछीहून बेटेरोपहुंगाशाशशीहरब्ले. गंगारावरसे, वागा समुच मर्याध मूडेरे ए पवनें ने उनान यषडोसे,नक्षत्र भारश यूरेगहूंगाडतो पाहुंताहारे वशना, वागा सुंघरी मानले |सायुगरानो पाउते वर्धगयो रातें, हवेनथी भनकुँअयुरोराडूंचासोजाउन्नेमा भय रोवे, वागा पावऽयन यो पानुरेपशेडर श्या पाजंड उरेछे, दागेनही भुनेतानोरेराहून पनि मुनिवरेंत्रेवीमेश्याने,वागा। पानी मोनडी तोरेगहने माहारी वंदना होन्ने,जघ्यरतन मिजोवरेहूंगाहप | हानागरी नातिनो साउदो श्री थूसिलरजएगारपश्या वयपाथी नविन ग्यो,समता थछतेणीवार पराभनवराज या वशीया, ऐसंघरीसुएवाता शिो - Jain Educhlona International For Personal and Private Use Only www.jainelarary.org Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - (५८) माउंजर तुरे,हिर हिरहु विण्यात निम मान्नी भूषा,बिभभोराने नागानि भयडीने जानवसी,मृगरीपुनिभ वाघ3] तिमत्रीयाने ऋषीतपो, नेय परंतर ओशन पणहूंतुब प्रति जोधवा,वसी थावा निरोष पवयरा.सुपी वनिताउहे, लसे नाव्या भुन नाथ रामान सइसहिन भाइरो, तुनभुन शिवपुर साथापा भोहवशे वषी विरहिन पी,सुउथ अषभाषराउ विरहोप्रल तुमतयो, हुंन मेऊ तासाहव्याउन खन्नएपी विरहिएी, ऋषी नविमोलेक्यएवं एडे पडीतेअभिनी, नातीपानथएण एमागळवन उिभ परिहरो,मार वरसनी | प्रीत हुंन सायरमा पडी,ध्यानमारपे| पित्तावावसती पीठी नायग, पुनःप्रारंने तेहुए नाट भाऽयो युतिशंीपउहे घरी - Jain Educlona International For Personal and Private Use Only www.jainabrary.org Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५८) नेह एका एटापसातभी पूर्वपीशी सामसीताहारा वथए,थ हूं गहेलीरेभुनेश से हीयां माहे, प्रीतडी पेषीरेशमेशाजपीप एजारवरसनी प्रीत हे आंधी,वागा मापना जोखडे बोल्याणजेपउया ले बमरोहाथें,तेभिब्नये भेट्याशायगापाच घडीने नाबशी रहेनी, ताहारा मनमां हुई थारे सापडीय आशूाजरता,जोलीजो तेजातुरेण्यगाशामेटिक्सभेरीस उरीने, वागा तुमशुंडीधी भारीरोगबाहुब्नसीने मनावी भुनने, तेवेवाजिहां नाहीरेगथ निए पहेषां भुनने पाऽखावी, वागा भेश्ने भाथे यडावीरेणभूषमाथी गणेऽतांतुन बने, मनमा महेरन मावीथमुगा नागर सहले निर्दयी होवे,वागामुनथी बोर Jain Educa Bona International For Personal and Private Use Only www.jaineHary.org Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - से भीरेएमपन्न माहेथी. उपटनछंडे,ते ||में नरेंदीकुंरोगथनापहिवाशन लाजनेसुएीने, वा० मुनियें मनन उगात योरे राणध्यरतन उहे धन्य पाछपटे, निणे तुंथूपिलरन्नयोरे पथनाए पोहापसमा नारी तपा, सालसी याश्रवणेहएश्रीथूसिलहमेश्या लपी,सा. हामोघेणपद्देशापारेश्या विरहगी. माघे मायान्नसापिापसारिमा, क्षए न रहे येतात. ए २॥ सुजणेलवें अनुलव्या, यक्ष मनंती वार एतृप्तिन पाभ्यो लवजे, अश्या मेहवियार ।। आहा वेसंवर नागो भने, निमहोय वंछितमा स पसंयम पछी मुझते. नई उरिये सीमावि खास. या निसुशीने उहे नायिका भीगी वालम वात। तुमशुण्डेरीयातुरी, - U - - - Jain Educdona International For Personal and Private Use Only www.jainelirary.org Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - - ( १ ) मोसंउहीय नन्नताचा पएस नारीने,माघरद्योमेवारणस गतरे,ढुव्रतसऽशनारपहरा स्या मुनि,रेरेजेश्या खूना रोजी, सालस हुंछुतुना यमनो भाउरो, में सीघो सुए श्या उहे सालसो,गंछोडो घेष अनंतो नाया, तुनाणे पविनय उहे सालसो,थूति पटासमाउभी राशी पी.संयम नारीरे, तुबनेवी माथानी भसीतेह, अभएर उपी पतेणे. भुने माउर्षि नमेसेपासोरेपणंटहाए नापे वारोनेवासोरे सावो मेसनां तेणे - - Jain Educationalernational For Personal and Private Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - ( १२. ) स. श्यो ब्नेरो ताहारो,हवे. प्रेसी नीतुनगाशायिहुंपासेयोन । तेने हाथेछे तालुं उंचीरेघ डिहवे ताहारो, न्ने थाये गयीने नमुहपती भावाने वली महर्निशि रहे मुन्न तीरेरेप तेहना, नेतुन्ने मि धीरे पायनी साजेते परपीछे, न मानीरे ए वापर ताहारो तेमाटेरहेछानीगातुन नथी वात उन्ने, तो यढे तरवारनी घारापर राजे स्टोरेतुनाहायोर होंये, वागा निहाय पीळे वारे नगीने सारपतुग्णा - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 3 ) एकानेहवावया सुपी मुनिवरना, पोश्यासमति पामीरे परब्लेडी वंधी तिहने,ध्यरतन शिरनामीरेतुनाटा । सोहामेश्यायें समति पाभीयो,थून खिलर प्रीतम पास एसान सश्स हिनमान रो, पन्ययित्रशासियावाशापरणे भोहो सेंसुजलोगव्या,रती परेनेभाणे मोहोखे वसी ब्रतपीया, हुवे नवाथुमार पतेमाटेत छहारहो, थूपिलरऋषीराय एउहेथूसिलरोश्यासुगो, ममेन्नसुं शुरू पायाहवेयोमासुगतरे, मुब शुइन्नेवे | वाटाव्रतडो पाखन्ने, भघरीशमन हीयाटावाशीणामीधी लसी,डोश्याने तेएीवार ए तव वनिता मिवीनवे, धन्य धन्य, तुमअवतार पाडीपाय डीघाघरातुन भने यूश्ववास्वाम एजभन्ने मुन सपराधने, Jain Edug liona International For Personal and Private Use Only www.jainstprary.org Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - - उहुंधुं हुंशिरनामपण्यायोमिइंजिन महुँ, पोहोंचे वंछित माशबहेवा वसी| हां मावन्ने, वीसरसो नहीं स्वास एजाए रमित मांशु नाजती, विउसित मोक्षे वयाण सुश्वांधी प्रलुसावन्ने, महारा धर्मस्नेही स यपाएटा उहेथूसिल तुमे सावन्ने, भुस्ति महेसनी माहेनन्मनशनहीं तिहां धरमशु मन डीछोहि पलामोती थासवन घावीने, मेश्याहीप माहेश एमुनिवर रजे. वीसारता, अविहारी तुमवेश फराथूसिल्म रतिहाथी चालिया, उरताशुध्ध विहाररान्वांद्यानिन शुश्लगी, उहे हुन्छरसरमाया या श्रीशुश्थूसिलरने उहे, तुंगसायो सिंहराजेश्याने प्रतियोपतां, तेंराणी बगा सीह शायोराशीयोबीशीये, मलंगरयो तुन नाम रोश्या वयणाथी नवियस्योधूपि - Jain Edulationa International For Personal and Private Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हु 16 तु गुए। धाम ॥ १३ ॥ दास नवमी । सोहेसानी राग धन्याश्री मेवाडी । पामीते प्रतिबोध, योथुरे योधुं रे व्रत योजूं वसी जीय्यरेरे ॥ समति भूलवतजार, अश्यारे अश्यारे भुमिका चयने खान हरेरे ॥ १॥ धन्य साछसहे मात, यन्यरे धन्य रे ताहारा शउडास तातनेरे ॥ धन्य धन्य गो तम गोत्र, धन्य धन्यरे नागस्नातनेरे ॥शा धन्य धन्य यक्षा बहिन, धन्य धन्यरे सिरिया यातनेरे ॥ धैर्यपणाने धन्य, नगमारे धन्य धन्य तुन वहातनेरे ॥ ॥ संभूतिविन्नय गुइ धन्य, ने थयो ने थ्योरे धर्मायार्य ताहरोरे ॥ धन्य धन्य जे यित्रशाली, तां नेतारे धन्य जन्मागे मोहरोरे ॥ मानेपा मी हुं तुनशुं प्रीत, नेथोरे लेयोरे बुल लिने अंगरीरे ॥ जाहे लप्या माटे, भुन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - (६६) नेरे मुननेरे वासातें निर्मम उरीपाजेश्यासुंउरी शीण, तिहाथीरे तिहाथीरे मुनि विहार.उरे हवेशेणपोहोताश्रीगुइपासष्टररे,ड्ड पररे श्री श्री शुश्मुनथीस्तवेरे पानामा राज्युं नगमाहें, नेगेरे नेरेयोराशीयोन वीशी खगेंरे धन्य धन्य ते नरनार,मनथी रि भनथीरे विषय थी लगेरे पास त्तरशें मोगपशाठ, भागशिर मागशिररेशु ष्टि भोन गशीरे । शीलतएा गुणमेह, में गायारे में गायारेशनाणसामाणस्त। सीरेण्टमा श्रीथूपिलर ऋषीराय, गातारे गातारे भुहभाग्या पाशाढप्यारे यस तन हे प्रेम, भननारे भननारे मनोरयसन ||वि वेगें श्स्यारे एटा गए। थूपिलरमेश्या गावतां,पो; होये वंछित माशा घर घर सोच्छवा - - - Jain Edualtiona International For Personal and Private Use Only www.jaindibrary.org Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । ( ६७ ) तिघएा,नित्य प्रत्येंदील विवाशपालन येशुणेने सालवे, पोषणावे नेहाहुन मयससविरे हरे, अबरामर बहे तेहाशा मेहडीरति यूखिलतपी,जीयरतन नव ढास ॥ तापविनय उद्या, लगता मंगल भाषागा. पतिश्रीथूपिलछनोनवः रसो संपूर्ण - - - - एमथ.श्रीनेमनाथलनापोवीशाप पायोप्रारंना सोहा एसमख्या देवी शारामहुली मापे मुख्य एनसगुणगाण नेमबिन,सः जल अक्षर पशुध्धपानी सोरी पुन रनगर, समुरविनय नृपस्वामरायु त्रिः यामनेरहे, वरी शिवाध्वी नाम एशासन - Pranaamanna - Jain Educ dona International For Personal and Private Use Only www.jainabrary.org Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - - ( ६८ ) पतृपापीयुपरमसुजतनमन मेऊए। वाम ए लोगत उतडी लभर ब्ल्यु, उषीपो |रतीम पातघणर प्रलु अवतस्या छाघर अवतार श्रावनी पंयभी शुश्स ननम्या नेमी कुमार ॥४॥ | पढापसुएगोवालपी गोरसगावामी र, गली रहेने एमेशी प्रेमांगावेला पघायोउनी नयी वीए . |१ गयो पहेझुंगप्रलुमन्मथयो,छपन्न घिशिकुमरीये महोत्सवीघोगमतीही थयो, योशठ सुरपती पाल सउप मसीसी, घोरामेयांऊपी एतिहां मेशिजर पर सन्नवे, जहन्नुगतें प्रलने न्हवरावे पगं शुचालूषा पहेरावेयप्रलुनारी माएी माताने माण्याछे, प्रलुगमोममें याप्याथे सुर लजिसुधार सेंराध्याछ । - - Jain Educ lona International For Personal and Private Use Only www.jain library.org Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८ ) एप्रलुगाशा नछहासीवधावेछ, उरने डीनृपने प्रेमवेछे, तुमपुत्रथयोसुर सेवेगे| एप्रलुगा सुपी समुरविनय नृपहरज्याछे, प्रलु पूरणनलते परज्याछ, उहे। अमृत मेहुसावरण्याचे प्रमुगाच्या २. योङबीब्ने एनृपसमुरविबय, पुत्र जन्म्याउछ महोत्सव भंडावेएनीशान - ने, शहिवस माहें सूनऊरउरीशंडे एगे खांडएएछवानित्र तालवनवेछे, छ गेहनी भंग गावेछे,उर्छ मोतीयां सेंतीवन धावेछ। नृपाश विसें शोठएडी पाछे, हुनीयाने मोनन घांछे, त्रिहुं लोड़ नागरन सीघाछेगनृपाशा प्रलुटिन हिन मोहोय थायेछे,प्रलु मेवा भोजाये। छे, प्रलुम्ममा पगथायछे। नृपना उपप्रलुभाष अवस्था जेषेछ,प्रलुपातो - Jain Edultiona International For Personal and Private Use Only www.jaimelibrary.org Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७० ) खंजर कसे छे, प्रलुपगशुं परवत ठेलेछे। नृपणा ॥ खेभ उरतां यौवन खाग्यो छे, त न लो इंथन ताव्यो छे, प्रलु योग अमृत मन लाग्योछे । नृपणाय 3. योउत्रीले ॥ खेऊ हिवस वशें, नेमी दुभर निन मित्र संघाते जावे । सहु रंगरसें, नव नव तुङ लेतां खानंद पावे ।। खेखांउली ।। तिहां द्वारिअ नगरीवासायें, स्यना उरी अनड असायें, निहां खावे खायुधशासायें ।। भेड• ॥१॥ प्रलु पक्रने याप गा निरषी, ईश्वी तेो ग्रही खार्षी, शेजनाह थी मित्र थया हुरषी ।। खेङनाशा तेोना हे ज्ञह्मांड इटाछे, वसी हयगय जंघन भूराछे, सुणी श्रीपतीना पण छूटाछे । जेऊ ॥आ तिहां तुरत बर्धने पछतावे, मतुसी जस नेभन्नु सोहावे, पछी खमृत वयो जो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainellibrary.org Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१ ) - - ( खावे. एगाचा ४. लखेट्याउरी, रान पधारया मान तेअंडिने एमावो हिलमरी,रमीयरन मत आपणजसछे डेहएनाउएी प ग्यापएराशीसु क्रीडा परिहरिये,हेराननीतिछे तिमीथे, निन लाजे लुनावीवरीयें। लगाशा तुमे र पीतांबर संभाः यो, निम डीघोहोउर डायो, बिन वाल्योनेत्र परें यावोग लगाप्रलुपुरमा व्यो छटउंतो, पहुब्नेरउरे हरि पटतो,नेन मउपी साजायें तो पलखेगा आम जलपरणी प्रलुलवलीया, उहे अमृत हुन रिसंशय पडिया, जसलरने हवेगेभसीन यारा लगाए ५. राहेहराघरा, हवे उम उर नेभि पन राक्रम भहोटुंए भुनहित उरल, हेलामा हु। Jain Educlona International For Personal and Private Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ( ७२ ) हरव्योते नहीं पोटुंगमेमांडपीशंपयक्रम धनुमेधारी,सान वशीघामेणे निरघारी, मुनसंपतीसघसी संहारी,थ लेडो राननो अधिकारी हेहगा परामेन मसोयरे शारंगपाएी, रोअवसरेंगाने थर्छ वाएी,पहीलांनभीनाथें उहीन्नएी, थमिण परएया नेभी नापीहेहनाशा भिसुपीने यतुलन यित्त माहें,घा जुसी थयोतोहे प्राहें, ते निश्चय उरखाने याहे,घन रिपोहेतो रंगलरीजाहेराहेहु उपराणी शभिएी प्रमुखने लाप्पीछे,ने लूघरे पित्त भांराणीछे, मेवातनी उखी साप्पीछे, भवन यो अमृतेंलामीछे हेहगाचा. ६. एमेटिक्स हरि, तेजर पर्छ नेभीसर संघाते ए सती हरपलरी, इसक्रीम री गोपी नवनवलांतामेमांजपीजे Jain Eduellona International For Personal and Private Use Only Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । - ( ७३ ) सोवन शिंगी उरघारी, लरी रेशर पाणी पियारी, नेमलने शंटे मतवासी एमेऊनाधा नसभेतीसाहेसी मबी साथे, उसासे हाथे, बिनलनी परते नारा मेगा शाओ अभउटाः प्रेरेछ,ओर्छ नयन त्रिलागेहेरेछे, ओममुहुउजाए घेरेछा मेऊन एसओ अमउखाने हेजावेछे, मति शासन ना मापनपायेछ,ओई समृतवयो हसावे. छ । नेऊनाच्या ७. पहेहेवरळ, समसाथें हसी जोलोस नमेसी । नामवसरल, हेत हीयानुजोन सोरंगरस.लेली एखांडपी राजमेन्नन गीतुभारा हैयानी, मासघसी मबीनी धिन गानी, तेसाठी चारोशेज्ञानी, परएयाविए.मिथाये पोतानी । हेपाईभजांगड जोपी मोदेछे, ओई सागलपाछपडो, Jain Educona International For Personal and Private Use Only www.jainerary.org Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - ( ७४ ) खेछ, मखीराघाशभिएी येलेछ, जहुन्नु ते प्रलुने ब्लेसेछा हेहेनाशातनंतर निन अवसर पाभी, हस्मोघेणंटेंगुएघाभी, हे गोविंहगोपी शिरनामी, उप पोहेन्ये तु भनेहोस्वामीपहेगारासह नसक्रीडर उरी नीसरीया, पछी बस्अंडे हगमेंटरीया,न्नएवं माननीना मना हरीया, उहे अमृत निन वीटी वतीया पहेहेगा ८. सहु वेसलरी,भाननी भहनी माती रंगरंगीली । सिएशारउरी, नव नव मंजर लूषण छेद छपीसी. मेमांमएसएनएल माती सापडीमालछे, वली साडडेशर नीतालछे, सीथें शीस सेवें भालछे, वसी नीयवटटीसी छलछासहुदा शिर वेपी अंजाने वाली छे, वसी सहुसिएन गारें मांगीछे, न्नएनडीत बी सोनालीछे, - Jain Educabona International For Personal and Private Use Only www.jaineliblary.org Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - । - ( ७५ ) रिंशेराती तंबोदें पीछे सहुगाशायी रयरएायोसी पहेरी छे,बरी साससासेंये. हिरीछे, महडे जशमोघेहेरीछे, मसी सहस. जत्रीशभिमहेश छासहुगा तिहांनो, सीमाठेपटराएी,तुभे.सात्मसोहेवर गुए मापी, अमेहुं धुं तुमारोहीत नएी, हवे लाछेममृतवाएी सपना ५. उहेभिएी, ममने उहावो हीम थी सहोने एउपभएरी, परणो नहींश्या भाटे ममने होने से मांगी राना, रीनुशुं पुरन पड़े, निरवाह थी अयर सन् थडे, उिमराहयछमथयेनडे एउहेगा पन्नूलो द्वारिगनाथनी राई,त्रिहुं जंडना लूपनयासमरथ छेजेहवो तुम लागाउहेशानिऐसहस जत्रीन शीत्तमवरएी, वली सहसयोशडीप-|| - Jain Educffiona International For Personal and Private Use Only Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७६ ) र परएगी, अनुडो महीपतीनो घरणी, ते सा थे भाएगे छे घरणी । उड़ेगा। तोशुं तमे जे ङथडी लग्जो, पण बावीशमां निन उहे वाखो। उहे अमृत तिम मुहगा थाखो॥उहेगार १०. ॥लणे सत्यलामा, लारी थर्धशुं जेठा नेम नगीना ।। छो जावीशमां, नहुडुसना माघारडे शिवाहेवीना ॥ जे खांडणी ॥ तुमे सांलसो बात उहुँ डावी, जागभमां निनमुजथी यावी, ने खान सगें यासी खावी॥ालऐणाशा निएणे सघसी सृष्टी नीपाछे, तेएवरणावरण थपाईछे, नेऐऐ युगला नीति जपार्धछे ।। लोगा शातेऋषल प्रलु प्रलुता पार्छ, जे उन्याने परार्ध, सो जेटराने जेटी जे खाई।। लोगा । ते ङिम शिव भंहिर नई बसिया, तुभे ढीठया अर्ध नवारसीया, शिव वश्वा अमृतपरसीया ॥ लगाम Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainglibrary.org Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७७ ) |1. पहेोगासा, छेस्छनीमा शंशे छोन उरवाही हे असलेषा,भनहीं शोले या मुखनी मेगाहीमेमांडपी एउहे रमुवना तीसुपो कुरीया, संसार यी तमेमोसरीय शुभमने खन्नयो देवरीया आहेगा साथया पूर्वेतुभवंसें सारा, हरिवंस विलूपएसएगा, श्रीमुनिसुव्रतालुल प्यारापहेोगाशान्नु मोतेपण पहिला संसारी, घणु लोगवीरान हिशालारी, पी भाप हूमाछेव्रतधारी | जातेमाटे मननी जोने, नेवात होये || ते लांजोने, मेमभृतसुजतायाजोनेाहेछोटे ||१२. एमाहारा वाहासाल,पासपयुवती || विधसे वीइस सायेंगसुणोपासाल, साणी पोल्योपाहो हरीने हाथे मे मांडएपी रायनी रंगीलीरापी,पातलीया परयो गुण मापी, परपावसे तुभ शारंगपाएीमाहान Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jain forary.org Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - ( ७८ ) रागामेऊ नारी विना नर नवीशोले, हुए मारमान छ थोले, वली परनारीते हथीमो लेरामाहाराणाशानही डेवलपुश्षने विश्वासे, उरपेसह माव्याथी पासे, वसी गंड लांडते. उहे। वासे माहाराणायामसुसीमा राणीसम ब्नवे,तुमे भानो विनती माधव, निमयामोम मृतरसलावे एमाहारापा १७. पहोरायन्ना,रमपीना सुजविससोरं गनालीना । होयराया,मे नगमा लवन छे लगनाधीनारामांऊपी ए बेसन्नना यात्राशुलउरणी,नवी शोले संघपती विणा घरगी, तेभाटे समोहता थानो परपी । हो रागाओ परव महोत्सवडेलवशे,सय्या हिक सुजोगभेलवशे, तेमनाया गयाओन ए हेलवशेहोरागाशावसीधर विवाहने जन्मएी, परमपुंजए विधि एनपी, || - - - - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jain library.org Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७८ ) नवी शोले भेटला विएाशएगी । होरागाआ थोडेथी घएं उरी न्नएगोने उहे लजमणां हीय डे जाणोने, शुंडहीयें खमृत समाणीने होणार १४. ॥ हो रढीयाला, रान तुमार खानथी सन वैनेयुं । हो शामलीया, सुंहरीपेड बिना तें सहुसुज जोयुं ॥ खेखांडणी ॥ तुमथी तोपं जी ने सूडा, खज्ञान लश्या पातेडा, तुभेसांलसो हेवर टूडा। होर० ॥था हिवसे युए। उखाने नवे, निन मासेसांन पडे खावे, लघु जास प्रीयाशुं सुज पावे ॥ होनाशाशुं पंजीन्नत थडी लखो, तुमे रान्नकुभर उहेवा खो, ङिभरामा रसीया नवी थाखो । होरणा आधिग् बुध्धि तुमारी खपडारी, खेम मोसंला हीखे गंधारी, उहे अमृत वयले हिताहोरणाचा १५. ।। हो सराला, तुम सोयनने सरडे, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainbrary.org Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - (८०) मनहरी सीधुप होसुभाला, अमएगारेजन सिमरा अपनांएी एमेहवीछमी. तुमयी शोहावे, पण नारी विनाओए लोखावे, वसी सरवणेउरी नवराये पोस्ट पाए इएसारा लोनननीपावे,उप पीरसे.युग मनलावे, हुए प्रेमरसें रसणपन्न होवाट एशानिन नारी विसाभाडाम, ओगावरान जे विए वाम, वसी जमाहें नावेजमा हो। सटका घर लंग थथु होय तेन्नरो, पुणे त्रीया सालरे हुए टाणे, उहे गोरी मभृतशुरू ताणे। हो सटगाच्या १६. पहोवाडा, नारी बिना एजमसेन ताहार जुडुप होन्हानडीया,नारी विना परि|वार वारने मुंथुपमेमांडपी घरी विए तिहां घर उपनवे, भिसाघु प्रभुणभारपावि, सगो भित्र पडणुओई नावे हो पायापार - - - - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainkbrary.org Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८१ ) वली वंश वधारणा छे नारी, उही रत्न जाए। नगमां सारी, बिणे तुम सरिजा ननम्यालारी होताना शा धरणी विना घर सूत्र डोए जोसे, ते सांढ परे झिरतो डोसे, वली सोङमां वाढो उड़ी जोसे || हो जाणा ॥ उरन्नती पडी मावर्धराणी, उहेग्म रह्याशुं हठताएणी, तु मे अमृत मननी सहु लगी हो सानामा १७. हे ससनेही, से तुमने नथी गमतुं भ हारा वासा• ॥ मनमेसी, बात उहुं शिवा हेवीना सासा ॥ खांडणी ।। भि वीनवे छेजी लढीं गोपी, शुं जासउ थाखो उहे झेपी, तुमे पेहरो जंगसोने टोपी ॥ ससना शासुएसी यिंते भसीयुं भेटाणे, स्त्री जातड़ शहहुठ नवी छांडे, डुए। जीत्तर साभारते भांडे ॥ हेसस शाभि यिंति प्रभुभुज विसजायु, ते हेजी सहु गोपी यछु, उहे मान्युमान्युजमे लएयुं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainebrary.org Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ mammar - - (८२) पहेससाउासा समस्तथोपेहरजी,नारायएसघघुते निरजी, घरें पोहोता अमृत बिन परजी पहेससगागा १८. राघरे भावी अन्ह, समुरविनय संघात मसतत डीपी राउहे नेह निधन नेभीसर विवाद हनी वात प्रसिध्धी एमे मांउएी राणग्रसेन राननी बेटीछे, रालमती पनी पेटीछे, तस. नागपरलायेटीछेरा घरे पण ते सायेसगापा छन्नेडीछे, बेसाठलवांतर रोडीछे, हवे नवमें लवेंशंतोडीछा घरेनाशा पछीसगनब्नेना शीउ रीघांछे,श्रावण शुहिण्डेसीघांछे मत नुडे उपट डीघांछे ए घरेनाशाहुममेस नथायेछे, हवे नेमळ परवानयेछ, उहे। अमृतघवष गवायेछाघरेगाचा ||१८. शुलमानउरी, विधिपूर्वशएशारी निङ शिरधारी एवरघूपधरी,उरघरी श्री - । - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jaithilibrary.org Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८३ ) सपान उरी जसवारी ॥ खांडणी । यढी जेठारथमां वररान्न, वरनात हशारथ घ्शताल, दृष्णा जसलरने लध्वलन्नाशुगापा यदी हयगय जागल पहयारी, पाछस रथ जे ठी सहु नारी, गाये गीत लघ्वएसी मतवाली आशुलणाशा शिर छत्र यामर पासें धारी, वरसाबन माहाननशुं लारी, वाने ढोस सरणा र्घ लुंगस लारी । शुलगा प्रलु लन सल न्नता उहे छे, उहे सारथीने रथने वहेछे, उहे अमृत तुम सुसरो रहे छेणाशुलगामा २० ॥सजी महोसयढी, शशी वयएशी भृगनयशी शब्नुस साधें ।। न्नेर्घ उतछजी, चिंते हुंबड लागए। सहुने माथे ॥ जे मांडणी ॥ तिहांसजी मोनो आशय न्नएसी, मेशामसीखो। वर गुण जाणी, समन्यवे जहु नुगतें खाएगी सजीणा॥ जेहवें वर तोरणा यावेछे, सहुप u Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainlibrary.org Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - -- ( ८४ ) शुमा राव सुगावे छे, हे सारथी मेथुमहात वे छेएसपीशराउ सारथी तुमगोरव दृशे, सहन्नध्व पशुना लक्ष पेशे, सुपी घिधिग् विवाहनेवेशे एसपीगागा सह पशु वाटउथी छोऽवीया,प्रत्लुरथी पाछा वतीया, हे अमृतानिन पथे मीयाएसन प्पी २१. एतेमपरथी, घाहिए इठी यांन जरान्नुसनी पहेमाराप्रलुभातखही, ताता सही वसीवातथयातेघहेसाणमांजए एरथन्नती मातउरीमाउरो,उहेन्नध्वमांशु सन्हवाडो, मेमडेमीय भेलवाडोते. जामुन भाग्यु साउादीने, घरहाण हुसारथ नवीडी, हरिवंश विभूषण व्हससी गतेजमगाशावहुनो मुनपरी टेपाडी, मुन मेह मनोरथसपाडो,अंजयूं पीन्यूंविण - - - - - Jain Edutationa International For Personal and Private Use Only www.jain library.org Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ %3 narenteras - ( ८५ ) |साय तेजशाहे भाता मागृहने वामो,भुना मुजित वधूशुंछे अभो, उही पोहोताअमृतनिन मोएतेजवरः । २२. राहेव ठिश्युं, मेमहीभूर्छापामी रानुसनारी रासजीयनशुं,शीतसवाय उरी ने लेह निवारी रामेमाउएगी एतिहारोतीजो खेजमरीयां, हा यावसना हाऊरीयां, भुने भूठी पाछाउमरिया टेवा पाहा पीठ नीरहीयारहेछ,हा निर्खन्न लवित डिभवहेछ, निश्वासो मोसंलोवती दोहे छाहे देवगाशा ले सघला सिध्यना लुस्तान री, ते शिववधू गणिमधूतारी,तेहुथीशुरायो सहुहारी राहे दैवाडा मुळ उहे वतने | तुंशुरेषहे,नहोनी नरतेमाहरु, उहे अमृतमरथीशुंनउहे पहेकाष्ठा २३. तमे पातलीया, पशुभाने शिर घेष - Jain Edullitiona International For Personal and Private Use Only www.jaindlbrary.org Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८६ ) हे रथ वाल्यो हो शामलीया, शुंन्नेछ खाव्या न्नेस हुरज सहुरास्यो खांडली तुमे हराने उहे शुं लागा, हुए| पती खावे पेहेरे वागा, ते जागा सहुथी ने नागा । तभेव आशा खेो यंहङसंडी डीघो छे, सीताने वियोन गते हीघो छे. मे नाम दुरंग प्रसिध्धो छेगा मेणाशा ते भारे पाछा इरी खावो, शुंयाध्व कुलभां शरभावो, शुंयुग युगडेहेवत उहेवरावो ॥ तुभे गाउ ॥ तुमे विरह तो जाएो छे द्या. राणी राब्नुसना हीया लेद्या, तुमे समृ त सुजा नवि वेद्या ।। तुमेगाभा २४. ॥ हूंतो लूसी गर्छ, शुध्ध बुध्ध सरखे शान थर्ध जेहाली । हुतो पहेली धर्ध, भुने घरमा नथी गमतुं माहारा वासा ॥ खेखांड एली। रजा मंदिर जावा धारणे छे, भुने वरस स भो हिन थाखे छे, लुग सरजी रयसी लग्जे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainbrary.org Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - छाएंतोगापााभुने असनवसन घणुधगेछ, हसाहससरीजालागेछ, भुने भोहना लावा गेछेहंतोगाशान्तरमोशन विद्यारीमनमोहें मर्घाणघरीशंडरयाहे,तो उरब्नसंताशुंथाहे हुतोगासार्नुभूडीयाप्योभावेशें, मुने घोडीयायूंटीपेशे,हेममृतउर्छमेहएण्डेशेपहुंतोपलाईन २५. एमरे निःसनेही,निपट निहेन्ननाथा उरी नानीललीउरी निननारी तल वात पशुनीमानी एमेनाइएी रातुन मनमां नेहवी हुती वेहेला, तो निश्चय नवि उरती पहेवां, हवे नागोथईजढे शहेसांमरेगापाताहा हमाईनवीनशे,सापराविषउन्याहहिवासे, मजगमाहे उहेवन थाशेएनरेगा, पतेंप्रेम उस्पतमतरीयो, वसीयोगउन तश्तें घरीमो, पण भेनोभालवतुंवरीस्रोए मरेगागाजभोशिा मनमा लावी,मेम mammeme - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jaindibrary.org Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८८ ) उरतां तत्त्वदृशा सावी, उहे मृत पायुपासें जा वीरेणाभा २९ प्रभु हीतअरी, संयम जापी थापी शिवप हनारी, नहीं जसिहारी नवमें लवें निनरानें पहिला तारी ॥ खेखांउली ।। सहसावन सघसी ऋधि लेडी, शिव पोहोता उरम लरभ त्रोडी, नेमी रानुस जवियस धर्म लेडी ॥ प्रभुवाणा भसी गोपी संवाह सुणाच्यो छे, श्रीनेमि विवाह मनाव्योछे, धन हांते अधिडार जनाव्यो छे । लुना शाडीखो ग्जढारशें जोगए। थालें, डाती वहि पंयमी रविवारे, जे थोवीश योङ यतुरधारे ॥ लुनाआ गुरु रत्नविनय पंडित राया, जुधशिष्य विवेड वि वेड विनय लाया, तस शिष्यश्नभृतें गुएागाथा-प्र४ छति श्रीनेभिरान्नुस संवाहे अष्ट स्त्रीवएनि संसाधन उवि अमृतविनयगारी विश्यिते योनीश योङ संपूर्णम् ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainbrary.org Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सभाता.