Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 75
________________ - - ( ७४ ) खेछ, मखीराघाशभिएी येलेछ, जहुन्नु ते प्रलुने ब्लेसेछा हेहेनाशातनंतर निन अवसर पाभी, हस्मोघेणंटेंगुएघाभी, हे गोविंहगोपी शिरनामी, उप पोहेन्ये तु भनेहोस्वामीपहेगारासह नसक्रीडर उरी नीसरीया, पछी बस्अंडे हगमेंटरीया,न्नएवं माननीना मना हरीया, उहे अमृत निन वीटी वतीया पहेहेगा ८. सहु वेसलरी,भाननी भहनी माती रंगरंगीली । सिएशारउरी, नव नव मंजर लूषण छेद छपीसी. मेमांमएसएनएल माती सापडीमालछे, वली साडडेशर नीतालछे, सीथें शीस सेवें भालछे, वसी नीयवटटीसी छलछासहुदा शिर वेपी अंजाने वाली छे, वसी सहुसिएन गारें मांगीछे, न्नएनडीत बी सोनालीछे, - Jain Educabona International For Personal and Private Use Only www.jaineliblary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90