Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 73
________________ - ( ७२ ) हरव्योते नहीं पोटुंगमेमांडपीशंपयक्रम धनुमेधारी,सान वशीघामेणे निरघारी, मुनसंपतीसघसी संहारी,थ लेडो राननो अधिकारी हेहगा परामेन मसोयरे शारंगपाएी, रोअवसरेंगाने थर्छ वाएी,पहीलांनभीनाथें उहीन्नएी, थमिण परएया नेभी नापीहेहनाशा भिसुपीने यतुलन यित्त माहें,घा जुसी थयोतोहे प्राहें, ते निश्चय उरखाने याहे,घन रिपोहेतो रंगलरीजाहेराहेहु उपराणी शभिएी प्रमुखने लाप्पीछे,ने लूघरे पित्त भांराणीछे, मेवातनी उखी साप्पीछे, भवन यो अमृतेंलामीछे हेहगाचा. ६. एमेटिक्स हरि, तेजर पर्छ नेभीसर संघाते ए सती हरपलरी, इसक्रीम री गोपी नवनवलांतामेमांजपीजे Jain Eduellona International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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