Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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७१
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( खावे.
एगाचा ४. लखेट्याउरी, रान पधारया मान तेअंडिने एमावो हिलमरी,रमीयरन मत आपणजसछे डेहएनाउएी प ग्यापएराशीसु क्रीडा परिहरिये,हेराननीतिछे तिमीथे, निन लाजे लुनावीवरीयें। लगाशा तुमे र पीतांबर संभाः यो, निम डीघोहोउर डायो, बिन वाल्योनेत्र परें यावोग लगाप्रलुपुरमा व्यो छटउंतो, पहुब्नेरउरे हरि पटतो,नेन मउपी साजायें तो पलखेगा आम जलपरणी प्रलुलवलीया, उहे अमृत हुन रिसंशय पडिया, जसलरने हवेगेभसीन यारा लगाए ५. राहेहराघरा, हवे उम उर नेभि पन राक्रम भहोटुंए भुनहित उरल, हेलामा हु।
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