Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
।
( ६७ ) तिघएा,नित्य प्रत्येंदील विवाशपालन येशुणेने सालवे, पोषणावे नेहाहुन मयससविरे हरे, अबरामर बहे तेहाशा मेहडीरति यूखिलतपी,जीयरतन नव ढास ॥ तापविनय उद्या, लगता मंगल भाषागा. पतिश्रीथूपिलछनोनवः रसो संपूर्ण
-
-
-
-
एमथ.श्रीनेमनाथलनापोवीशाप
पायोप्रारंना सोहा एसमख्या देवी शारामहुली मापे मुख्य एनसगुणगाण नेमबिन,सः जल अक्षर पशुध्धपानी सोरी पुन रनगर, समुरविनय नृपस्वामरायु त्रिः यामनेरहे, वरी शिवाध्वी नाम एशासन
-
Pranaamanna
-
Jain Educ dona International
For Personal and Private Use Only
www.jainabrary.org
Page Navigation
1 ... 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90