Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 67
________________ - - - (६६) नेरे मुननेरे वासातें निर्मम उरीपाजेश्यासुंउरी शीण, तिहाथीरे तिहाथीरे मुनि विहार.उरे हवेशेणपोहोताश्रीगुइपासष्टररे,ड्ड पररे श्री श्री शुश्मुनथीस्तवेरे पानामा राज्युं नगमाहें, नेगेरे नेरेयोराशीयोन वीशी खगेंरे धन्य धन्य ते नरनार,मनथी रि भनथीरे विषय थी लगेरे पास त्तरशें मोगपशाठ, भागशिर मागशिररेशु ष्टि भोन गशीरे । शीलतएा गुणमेह, में गायारे में गायारेशनाणसामाणस्त। सीरेण्टमा श्रीथूपिलर ऋषीराय, गातारे गातारे भुहभाग्या पाशाढप्यारे यस तन हे प्रेम, भननारे भननारे मनोरयसन ||वि वेगें श्स्यारे एटा गए। थूपिलरमेश्या गावतां,पो; होये वंछित माशा घर घर सोच्छवा - - - Jain Edualtiona International For Personal and Private Use Only www.jaindibrary.org

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