Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
हु
16 तु गुए। धाम ॥ १३ ॥
दास नवमी । सोहेसानी राग धन्याश्री मेवाडी । पामीते प्रतिबोध, योथुरे योधुं रे व्रत योजूं वसी जीय्यरेरे ॥ समति भूलवतजार, अश्यारे अश्यारे भुमिका चयने खान हरेरे ॥ १॥ धन्य साछसहे मात, यन्यरे धन्य रे ताहारा शउडास तातनेरे ॥ धन्य धन्य गो तम गोत्र, धन्य धन्यरे नागस्नातनेरे ॥शा धन्य धन्य यक्षा बहिन, धन्य धन्यरे सिरिया यातनेरे ॥ धैर्यपणाने धन्य, नगमारे धन्य धन्य तुन वहातनेरे ॥ ॥ संभूतिविन्नय गुइ धन्य, ने थयो ने थ्योरे धर्मायार्य ताहरोरे ॥ धन्य धन्य जे यित्रशाली, तां नेतारे धन्य जन्मागे मोहरोरे ॥ मानेपा मी हुं तुनशुं प्रीत, नेथोरे लेयोरे बुल लिने अंगरीरे ॥ जाहे लप्या माटे, भुन
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90