Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 69
________________ - - - - ( ६८ ) पतृपापीयुपरमसुजतनमन मेऊए। वाम ए लोगत उतडी लभर ब्ल्यु, उषीपो |रतीम पातघणर प्रलु अवतस्या छाघर अवतार श्रावनी पंयभी शुश्स ननम्या नेमी कुमार ॥४॥ | पढापसुएगोवालपी गोरसगावामी र, गली रहेने एमेशी प्रेमांगावेला पघायोउनी नयी वीए . |१ गयो पहेझुंगप्रलुमन्मथयो,छपन्न घिशिकुमरीये महोत्सवीघोगमतीही थयो, योशठ सुरपती पाल सउप मसीसी, घोरामेयांऊपी एतिहां मेशिजर पर सन्नवे, जहन्नुगतें प्रलने न्हवरावे पगं शुचालूषा पहेरावेयप्रलुनारी माएी माताने माण्याछे, प्रलुगमोममें याप्याथे सुर लजिसुधार सेंराध्याछ । - - Jain Educ lona International For Personal and Private Use Only www.jain library.org

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