Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(५८) नेह एका
एटापसातभी पूर्वपीशी सामसीताहारा वथए,थ हूं गहेलीरेभुनेश से हीयां माहे, प्रीतडी पेषीरेशमेशाजपीप एजारवरसनी प्रीत हे आंधी,वागा मापना जोखडे बोल्याणजेपउया ले बमरोहाथें,तेभिब्नये भेट्याशायगापाच घडीने नाबशी रहेनी, ताहारा मनमां हुई थारे सापडीय आशूाजरता,जोलीजो तेजातुरेण्यगाशामेटिक्सभेरीस उरीने, वागा तुमशुंडीधी भारीरोगबाहुब्नसीने मनावी भुनने, तेवेवाजिहां नाहीरेगथ निए पहेषां भुनने पाऽखावी, वागा भेश्ने भाथे यडावीरेणभूषमाथी गणेऽतांतुन बने, मनमा महेरन मावीथमुगा नागर सहले निर्दयी होवे,वागामुनथी बोर
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