Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(५८) माउंजर तुरे,हिर हिरहु विण्यात निम मान्नी भूषा,बिभभोराने नागानि भयडीने जानवसी,मृगरीपुनिभ वाघ3] तिमत्रीयाने ऋषीतपो, नेय परंतर ओशन पणहूंतुब प्रति जोधवा,वसी थावा निरोष पवयरा.सुपी वनिताउहे, लसे नाव्या भुन नाथ रामान सइसहिन भाइरो, तुनभुन शिवपुर साथापा भोहवशे वषी विरहिन पी,सुउथ अषभाषराउ विरहोप्रल तुमतयो, हुंन मेऊ तासाहव्याउन खन्नएपी विरहिएी, ऋषी नविमोलेक्यएवं एडे पडीतेअभिनी, नातीपानथएण एमागळवन उिभ परिहरो,मार वरसनी | प्रीत हुंन सायरमा पडी,ध्यानमारपे| पित्तावावसती पीठी नायग, पुनःप्रारंने तेहुए नाट भाऽयो युतिशंीपउहे घरी
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