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( ५६ ) भि परिहरी, हवे संयभथी मन मेला पचानन टिषेए सरिमा बती भाषाटाधिबेहरामो हमहात्मट वशउरी, भुति गया ऋषी तेहप पासपीडूपी अयनी, पीपस पानसमान।
साथिर पाठवितता,नेहवो संध्यावान हामी या अभिनी, माया मोहनी नपा वसीवपीशुहुँनायग, विपय थी भनवान साणातेमाटेश्या तभे,भरोनासपंपास पीपउहे थूखिलसऋषी,वथए। उहेततजासः
एढाप छठी पूर्वी देशी एतुंशाने रे छे यासारे, हुं नवियूउंरेण भुने वाती पागे छे मातारे,ध्यानन भूरेगामेमांडपी। शीलसा) में जीधी सगाछी में तो मेली मील मायारा नसिमभथराने डेरऊरीने,छता नीशान वनयारेपहुंगाावनु उछोरो में वाष्यो सूधो, ताहारो ऐडयो नहीं छूटेरे।
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