Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( 3 ) रनां प्रेमें हुं पायारेभनथी देणे तारी भेषी, जार वर्षनीभायारे॥भेगाह ____ोहा॥वथए। सुपी वालिभ तपा,घ रतीओश्यामा हवेहुं पीथुनेवश, व्हेमपामुंबहुसुमपाऋधि घएगी घर भाहिरे, ओणतेहनो रजवासा नागर उंत ऋषी थयो, हुंसघुजजसा जासशासुराहोप्रीतमतल, अवशुपाविण सही नामुन् सरणी नहीं सुधरी, थूषिलाहीये वियाराण
समनागपसुरा साहेजा,ससरि मा डेहरिहर ब्रह्माते सवे,अभधीशन हि तेहराना तेभारे तुमने उहुं, भानो पीण
छ वात नहींतर पाए त्यमुंहवे, सायी हुंभवघताचा थूसिल-उठे डोश्या सुयो, हुंनवी ड्योगाभेविसारी तुलली,समता संयोगाहातोश्या मन
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