Book Title: Thulibhaddni Shilveli
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 46
________________ - - - - -- (४५) दी,सणशोदशएगार राघरे विस्पती सुंधरी,अंछोडी निश्वार पर हायार. पी नीमवधि उरी, माव्यो माशाढी भासा अमएगारोउंतष्ठ, सभी नाल्यो.मानमा वासपातेणठीणतावसी, वासिम ब्नेवा रमापराधीपविन्यऽभवीनवे, एवेडोश्यारे विसाप पश्टा | ढालजीन्छाशीपूर्वसी एमाव्यो। माशाढो भास, नाव्यो घूतारोशामुने न्नज्यो विरह लुहंगोवितारोरेण से मांउणी । वियोगता विषमाप्यु भघरे,वा माहारी इपसी हेहडी घधीरे शासनां सुतपाले जीन्ने,नही ओभत्रनो वाधरे एनाव्योगापामेहनांहहेरनीगति मनेरी,वागाभाने नहीं भत्रने मुहुरोरेगड़े वातनो यंतनसावे, अपए मापे छुहुरो - -- - Jain Editiona International For Personal and Private Use Only www.jain brary.org

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